Edited By pooja,Updated: 09 Aug, 2018 03:32 PM
कहते है की पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। डाक विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी विष्णु स्वरूप सक्सेना इस कहावत के जीते जागते उदारहण बन गए है। 78 वर्षीय विष्णु शर्मा
नई दिल्ली: कहते है की पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। डाक विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी विष्णु स्वरूप सक्सेना इस कहावत के जीते जागते उदारहण बन गए है। 78 वर्षीय विष्णु शर्मा ने इस उम्र में अपनी पीएचडी की डिग्री पूरी की और वो भी जेएनयू से। अपनी पीएचडी डिग्री हासिल करने के लिए शर्मा जब मंच की ओर बढ़े तो वहां उपस्थित लोगों ने तालियों की गडगड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया।
विष्णु स्वरूप सक्सेना जेएनयू के दीक्षांत समारोह में इस यादगार मौके पर उनका हौसला बढ़ाने के लिए उनकी पत्नी, एक बेटी और दो बेटे भी मौजूद थे। उनके दोनों बेटे विदेश में काम करते हैं और बेटी फैशन डिजाइनर हैं। जेएनयू के 78 वर्षीय छात्र ने कहा, ‘‘पहले दिन जब मैं अगली कतार में बैठा था, एक युवती मेरे पास आयी और मुझसे पूछा कि मैं अब (2008) क्यों पढ़ रहा हूं, मैं क्या करना चाहता हूं..आदि।"
"मैंने उनसे कहा कि ये सभी सवाल अप्रासंगिक हैं। जब मैं जेएनयू कैंपस में होता हूं तो 19 साल के नौजवान सा महसूस करता हूं।’’ वर्ष 1998 में 58 साल की उम्र में इंडियन पोस्टल बोर्ड के सदस्य के रूप में सेवानिवृत्ति के बाद सक्सेना 2008 में मास्टर डिग्री के लिए जेएनयू पहुंचे और 2012 में उन्होंने विश्वविद्यालय से एमफिल की पढ़ाई पूरी की।
वर्ष 2012 से उन्होंने प्राचीन ब्रह्मी और खरोष्ठी लिपि के बारे में पीएचडी की पढ़ाई शुरू की। सक्सेना ने कहा, ‘‘ब्रह्मी की प्राचीन लिपि को लेकर मेरी बहुत दिलचस्पी रही है।’’ सक्सेना का मानना है कि ब्रह्मी को जाने बिना भारत की संस्कृति को सही से नहीं समझा जा सकता।
उन्होंने कहा कि जेएनयू के नौजवान दोस्तों ने हमेशा उन्हें अहसास कराया कि वह मानो 19 साल के हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनके साथ पार्टी करता था । इंदौर आदि जगह पर भी हम साथ घूमने गए। उन्होंने हमेशा जवान महसूस कराया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह तथ्य सबसे प्यारा लगता है कि जेएनयू में कोई भी सवाल कर सकता है।"
"यह खुला विश्वविद्यालय है। यह कहते हुए मुझे अफसोस है कि सवाल उठाने की जैसी आजादी आपको जेएनयू में मिलती है वह दूसरे शैक्षाणिक संस्थान में नहीं मिलती। ’’