Edited By pooja,Updated: 02 Nov, 2018 02:58 PM
दिल्ली विश्वविद्यालय की रेगुलेशन अमेंडमेंट कमेटी की अंतिम बैठक में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। दोनों ही निर्णय एडहॉक शिक्षकों की सेवा शर्तों से संबंधित है।
नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय की रेगुलेशन अमेंडमेंट कमेटी की अंतिम बैठक में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। दोनों ही निर्णय एडहॉक शिक्षकों की सेवा शर्तों से संबंधित है। इसमें एडहॉक शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश देने का फैसला ऐतिहासिक रहा। बता दें डीयू और उससे सम्बद्ध कॉलेजों में 4500 से अधिक एडहॉक शिक्षक पढ़ाते हैं, जिनमें आधे से अधिक महिलाएं हैं।
उच्च स्तरीय कमेटी सदस्य डॉ. गीता भट्ट ने बताया है कि महिला एडहॉक शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश नहीं मिलना एक बड़ी समस्या रही है। इस सुविधा के नहीं होने के कारण हमारी महिला साथियों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता था। उन्हें उत्पीड़ित भी किया जाता था और कई बार उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया जाता था, जबकि मातृत्व किसी भी महिला का प्राकृतिक अधिकार और गौरव है। उसके लिए उसे प्रताडऩा या दंड सहना पड़े यह दुख और चिंता का विषय है। इसलिए हमनें श्रम मंत्रालय के नियमों और यूजीसी के परिपत्र का हवाला देकर अपनी महिला साथियों को मातृत्व अवकाश दिलाने की पहल की है। यह एक ऐतिहासिक पहल है।
कमेटी के एक अन्य सदस्य डॉ. रसाल सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के ऑडिनेन्स 11 और 12 में बदलाव करके प्रत्येक एडहॉक शिक्षक को शीत/ग्रीष्म कालीन अवकाश की सैलरी मिलना सुनिश्चित हो जाएगी। इन ऑडिनेंस में मौजूद टर्म और विदआउट ब्रेक शब्दों को सेमेस्टर और विद नोशनल ब्रेक शब्द से बदला जाएगा। साथ ही टर्म के प्रथम दिन को सेमेस्टर के प्रथम सप्ताह से बदला जाएगा। यह बदलाव होने के बाद किसी भी एडहॉक शिक्षक को किसी भी सूरत में छुट्टियों की सैलरी से वंचित नहीं किया जा सकेगा।