Edited By pooja,Updated: 25 Jul, 2018 02:56 PM
समय तेजी से बदल रहा है और इस बदलाव में खेती करने वालों की सोच में बदलाव आया है। कुछ साल पहले तक जिस खेती-किसानी की तरफ युवाओं का बिल्कुल रुझान नहीं
नई दिल्ली: समय तेजी से बदल रहा है और इस बदलाव में खेती करने वालों की सोच में बदलाव आया है। कुछ साल पहले तक जिस खेती-किसानी की तरफ युवाओं का बिल्कुल रुझान नहीं होता था, वहां आज करियर की असीमित संभावनाएं हैं।
योग्यता
-एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट बनने के लिए यह जरूरी है कि आप फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स के अलावा बायोलॉजी विषयों के साथ बारहवीं पास हों।
-बैचलर इन इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी अथवा कम से कम एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करना होगा।
-प्रोफेशल कोर्स में दाखिले के लिए संबंधित विषयों में स्पेशलाइजेशन के साथ-साथ एग्रीकल्चरल साइंस या इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट होना बेहद जरूरी है।
दाखिला प्रक्रिया
एग्रीकल्चरल साइंस या इंजीनियरिंग के कोर्सेज में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। कुछ राज्य इंजीनियरिंग, मेडिकल और एग्रीकल्चर कोर्सेज में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेस टेस्ट आयोजित करते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित करती है।
कृषि क्षेत्र में नौकरी
कृषि क्षेत्र में अवसर की कमी नहीं हैं। इससे जुड़े ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च में कौशल दिखाने का अच्छा अवसर है, क्योंकि इस संस्थान के तहत करीब 43 रिसर्च इंस्टीट्यूट, चार नेशनल रिसर्च ब्यूरो, 20 नेशनल रिचर्स सेंटर, 109 कृषि विज्ञान केंद्र आदि हैं।