फूलों की खेती से दे करियर को रफ्तार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2017 07:31 PM

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अगर आप रुचि खेती में है और आपको फूलों से भी प्यार है तो आप इस क्षेत्र में ...

नई दिल्ली :अगर आप रुचि खेती में है और आपको फूलों से भी प्यार है तो आप इस क्षेत्र में आसानी से अपना करियर बना कर अपने करियर को नई रफ्तार दे सकते हैं। तेजी से विकसित होते  फूल उद्योग में आपके लिए करियर संवारने के ढेर सारे मौके हैं। फूलों की खेती से जुड़ी कई तरह की जॉब करके आप अपनी स्किल्स बढ़ा सकते हैं और अच्छी सैलरी भी पा सकते हैं। हम आपको बता रहे है कि आप किस तरह फूलों उद्योग से जुड़ सकते हैं। 

अगर आपने हॉर्टीकल्चर जैसे विषय के साथ एग्रीकल्चर में बीएससी किया हुआ है या चार साल की बीएससी (हॉर्टीकल्चर) की डिग्री ली है तो फ्लोरीकल्चर में मास्टर्स कर लेने पर प्रोफेशनल कामयाबी हासिल करने के आपके पास ढेरों मौके हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत में फ्लोरीकल्चर सबसे महत्वपूर्ण व्यवसाय के तौर पर उभरा है। वर्तमान में देश की लगभग 260 हजार एकड़ भूमि फ्लोरीकल्चर के लिए उपयोग में लाई जा रही है। एक अनुमान के अनुसार फूलों की वार्षिक घरेलू मांग 25 फीसदी से ऊपर है और इसका अंतरराष्ट्रीय बाजार लगभग 90,000 करोड़ रुपये का है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड्स, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश भारतीय फूलों के मुख्य आयातकों में से हैं। झारखंड और बिहार में गरबेरा और गुलाब की खेती लगभग 100 हेक्टेयर में की जाती है, वहीं गेंदे और दूसरे किस्म के फूलों की खेती 120 हेक्टेयर में की जाती है। हालांकि कई जिलों में फूलों की खेती की जाती है, लेकिन रांची, गुमला, सरायकेला, रामगढ़, देवघर और पूर्वी सिंहभूम जिले मुख्य रूप से फूलों की खेती के लिए जाने जाते हैं।

बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मौसम में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। इन राज्यों में फूलों की खेती में अच्छा मुनाफा चाहते हैं तो फूलों को मौसम की मार से बचाना जरूरी है। ग्रीन हाउस तापमान को प्राकृतिक रूप से 5-10 डिग्री तक कम कर देता है, लेकिन खुला होने की वजह से इसमें तामपमान पूरी तरह नियंत्रित नहीं होता। इसमें पॉली हाउस तकनीक कारगर साबित होती है, क्योंकि इसमें तापमान को पूरी तरह नियंत्रित करके ठंडा रखा जाता है, जिससे फूलों पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ता और पैदावार अच्छी होती है।

ये हैं किस्में
अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए मुख्य रूप से रोज, कारनेशन, क्राइसेंथेमम, गारगेरा, ग्लेडिओलस, जिप्सोफिला, लिएसट्रिस, नेरिन, ऑर्चिड, आर्चीलिया, एनथूरियू, ट्यूलिप और लिली जैसे फूलों का उत्पादन होता है। जहां गरबेरा और कारनेशन का उत्पादन अत्याधुनिक पॉली हाउस में किया जाता है, वहीं गुलाब, जैसमिन और ट्यूबरस आदि को ग्लास हाउस और शेड में रखा जाता है।

जॉब की अच्छी संभावनाएं
क्वालीफाइड फ्लोरीकल्चर स्पेशलिस्ट सरकारी और गैर-सरकारी दोनों ही सेक्टरों में अच्छी नौकरियां पा सकते हैं। हाइड्रोफोनिक्स, लैंडस्केप क्रिएशन, फूलों की सजावट, प्रोडक्शन मैनेजमेंट, माइक्रो प्रोपेगेशन, मार्र्केंटग, फूलों का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए रिसर्च जैसे काम इस सेक्टर में किए जाते हैं, जिनमें फ्लोरीकल्चरिस्ट के लिए अलग-अलग तरह की जॉब्स होती हैं। 

मौसमी व्यवसाय होने के कारण साल के कुछ ही महीने अच्छा बिजनेस मिलता है। जिसमें फायदा 80-90 फीसदी तक भी हो सकता है, लेकिन सीजन जाने के बाद यह भी मुमकिन है कि मुनाफा बिल्कुल न हो। इस सेक्टर में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अपनी स्किल्स बढ़ाना बहुत जरूरी है। फूलों की तमाम किस्मों, उनके लिए अनुकूल तापमान, उनकी प्रकृति और पैदावार आदि के बारे में आपकी जानकारी अच्छी होनी चाहिए।’

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