Edited By Sonia Goswami,Updated: 16 Jan, 2019 11:20 AM
देशभर में धड़ाधड़ खुले इंजीनियरिंग कॉलेजों में से अधिकतर अपने विद्यार्थियों को क्वालिटी एजुकेशन मुहैया करवाने में असमर्थ दिखते हैं और यही कारण है कि अधिकतर कॉलेजों में आधी सीटें भी नहीं भर पातीं।
जालंधर (सुमित): देशभर में धड़ाधड़ खुले इंजीनियरिंग कॉलेजों में से अधिकतर अपने विद्यार्थियों को क्वालिटी एजुकेशन मुहैया करवाने में असमर्थ दिखते हैं और यही कारण है कि अधिकतर कॉलेजों में आधी सीटें भी नहीं भर पातीं। इस सब मामले को लेकर चिंतित ऑल इंडिया कौंसिल फॉर टैक्नीकल एजुकेशन (ए.आई.सी.टी.ई.) द्वारा अब इंजीनियरिंग शिक्षा के नाम पर दुकानदारी करने वालों की लगाम कसने की तैयारी कर ली गई है।
इससे परेशान ए.आई.सी.टी.ई. द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया था और इस इंजीनियरिंग शिक्षा के गिरते स्तर का हल खोजने के लिए कहा था। अब कमेटी द्वारा जो अपनी रिपोर्ट तैयार की गई है, उसमें सबसे पहले नए इंजीनियरिंग कॉलेजों की मंजूरी पर रोक लगाने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही कई नए स्ट्रीम में कोर्स शुरू करने के लिए भी कहा गया है। एक अन्य सुझाव में पुराने प्रचलित इंजीनियरिंग कोर्सों में और सीटें न बढ़ाने की सिफारिश भी की गई है।
सूत्र बताते हैं कि ए.आई.सी.टी.ई. द्वारा इस रिपोर्ट को आगे सरकार के पास मूव किया गया है ताकि इस पर विचार के बाद इसको आगामी सैशन से लागू करवाया जा सके परंतु अभी सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक तौर पर इन सिफारिशों को लागू करने की बात नहीं कही गई है। अगर सरकार इन सिफारिशों को हरी झंडी देती है तो 2020 में किसी भी नए इंजीनियरिंग कॉलेज को मंजूरी नहीं मिलेगी। कई एप्लीकेशन हर साल नए कॉलेज खोलने के लिए ए.आई.सी.टी.ई. के पास आती हैं। इस बार भी नए कॉलेज खोलने के लिए एप्लीकेशन्स मिली है परंतु इनके बारे में विचार करने पर ही फैसला होगा। देशभर में 10 हजार से भी ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, इनमें से कई तो 30 फीसदी सीटें भरने में भी विफल रह जाते हैं। ऐसे कॉलेज न
तो विद्यार्थियोंको बढिय़ा फैकल्टी मुहैया करवा पाते हैं।