Edited By Riya bawa,Updated: 07 May, 2020 12:23 PM
बीते लगभग डेढ़ साल से उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती के मामले को लेकर चर्चा हो रही है। लेकिन आखिरकार बीते दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अपना फैसला सुना...
नई दिल्ली: बीते लगभग डेढ़ साल से उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती के मामले को लेकर चर्चा हो रही है। लेकिन आखिरकार बीते दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट का फैसला यूपी सरकार के पक्ष में गया है जिसके मुताबिक सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में 65 फीसदी और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 फीसदी अंक लाने होंगे।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद परीक्षा में शामिल हुए लाखों अभ्यर्थियों के चेहरे खिल उठे हैं। अब उन्हें परीक्षा परिणाम का इंतजार है। माना जा रहा है कि एक हफ्ते बाद रिजल्ट घोषित हो जाएगा।
हाईकोर्ट के आदेश की प्रमाणित प्रति मिलने के बाद शासन को भेजी जाएगी। शासन इसके कानूनी पहलुओं का अध्ययन करने के लिए न्याय विभाग को देगा। न्याय विभाग की सलाह मिलने पर शासन परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को आवश्यक निर्देश देगा। उसके दो-तीन दिन बाद रिजल्ट जारी हो जाएगा। पहले अंतिम उत्तरकुंजी जारी होगी और अगले दिन परिणाम घोषित होगा। इस भर्ती के लिए विज्ञापन एक दिसम्बर 2018 को जारी किया गया था।
क्या है ये मामला
गौरतलब है कि यूपी सरकार ने अंकों का निर्धारण परीक्षा के बाद किया था और यही विवादा का कारण बना था। इस फैसले का विरोध कर रहे अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार को अंकों का निर्धारण परीक्षा के पहले करना चाहिए था जबकि सरकार का तर्क का था कि वह शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहती है। इस परीक्षा में वही लोग चयनित होंगे जो योग्य होंगे, इसके बाद प्राइमरी लेवल असिस्टेंट टीचर के लिए भर्ती की प्रक्रिया का मामला कोर्ट में पहुंच गया।