Happy April Fool's Day 2020: आज के दिन क्यों मनाया जाता है अप्रैल फूल्स डे, जानें इतिहास

Edited By Riya bawa,Updated: 01 Apr, 2020 10:32 AM

april fools day 2020 history and origin

हर साल एक अप्रैल को फ़ूल्स डे यानी मूर्ख दिवस मनाया जाता है। कहते हैं कि खुश होने का कोई स्पेशल दिन नहीं होता। ऐसे में आप छोटी-छोटी खुशियों के बहाने तलाशकर खुश हो सकते हैं...

नई दिल्ली : हर साल एक अप्रैल को फ़ूल्स डे यानी मूर्ख दिवस मनाया जाता है। कहते हैं कि खुश होने का कोई स्पेशल दिन नहीं होता। ऐसे में आप छोटी-छोटी खुशियों के बहाने तलाशकर खुश हो सकते हैं। इस साल अप्रैल फूल पर भी आप हल्के-फुल्के मजाक करके अपने दोस्तों को खुश कर सकते हैं लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच याद रखें कि आपको कुछ ऐसा नहीं करना है, जिससे कोई अफवाह फैले या इस नियम का उल्लघंन हो। 

  April Fool Day ...

इस दिन लोग एक दूसरे के साथ मज़ाक करते हैं। हर देश में इस दिवस को लेकर अलग-अलग चलन हैं। कई देशों में दोपहर तक ही मज़ाक किया जाता है। अप्रैल फूल डे केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। कुछ देशों में एक अप्रैल को छुट्टी होती है। लेकिन भारत सहित कुछ देशों में अप्रैल फूल के दिन कोई छुट्टी नहीं होती है। एक अप्रैल को हर तरह का मज़ाक करने की छूट होती है। यही नहीं जिनके साथ मज़ाक होता है वह बुरा भी नहीं मानते।

जानें इतिहास 
अप्रैल फूल को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि अप्रैल फूल्स डे (मूर्ख दिवस) की शुरुआत फ्रांस में 1582 में उस वक्त हुई, जब पोप चार्ल्स IX ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया।

बताया जाता है कि इस दौरान कुछ लोग पुरानी तारीख पर ही नया साल मनाते रहे और उन्हें ही अप्रैल फूल्स कहा गया। साथ ही उनका मज़ाक भी मनाया गया, हालांकि कई जगह इसकी शुरुआत 1392 भी बताई जाती है, लेकिन इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है।

-इतिहास की बात करें तो - जैसे 1539 में फ्लेमिश कवि 'डे डेने' ने एक अमीर आदमी के बारे में लिखा, जिसने 1 अप्रैल को अपने नौकरों को मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए बाहर भेजा। Don't be fooled by these credit and debt catchwords

- 1 अप्रैल 1698 को कई लोगों को 'शेर की धुलाई देखने' के लिए धोखे से टॉवर ऑफ लंदन में ले जाया गया। खक कैंटरबरी टेल्स (1392) ने अपनी एक कहानी 'नन की प्रीस्ट की कहानी' में 30 मार्च और 2 दिन लिखा, जो प्रिंटिंग में गलती के चलते 32 मार्च हो गई, जो असल में 1 अप्रैल का दिन था।

इस कहानी में एक घमंडी मुर्गे को एक चालाक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था। इस गलती के बाद कहा जाने लगा कि लोमड़ी ने एक अप्रैल को मुर्गे को बेवकूफ बनाया। वहीं, अंग्रेज़ी साहित्य के महान लेखक ज्योफ्री चौसर का 'कैंटरबरी टेल्स (1392)' ऐसा पहला ग्रंथ है जहां एक अप्रैल और बेवकूफी के बीच संबंध का ज़िक्र किया गया था। 

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