महाराष्ट्र सिविल सेवा आयोग ने परीक्षाओं में फर्जी अभ्यर्थियों को रोक लगाने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम लागू कर दिया है। कमिशन की ओर से पुलिस, वन और सरकारी विभागों में निकलने वाले भर्तियों की ही क्यों न हो।
महाराष्ट्र सिविल सेवा आयोग ने परीक्षाओं में फर्जी अभ्यर्थियों को रोक लगाने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम लागू कर दिया है। कमिशन की ओर से पुलिस, वन और सरकारी विभागों में निकलने वाले भर्तियों में ये सिस्टम लागू होगा। MPSC के कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर ओक ने जानकारी दी कि 23 दिसंबर को Women and Child Welfare department की क्लास टू ऑफिसर्स की प्रिलिमिनरी परीक्षा में भी बायोमेट्रिक से ही उपस्थिति दर्ज कराई गई थी।
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उन्होंने बताया कि जनवरी 2019 में आयोजित होने वाली सभी प्रिलिमिनरी परीक्षा में बायोमेट्रिक अटेंडेंस ही होगी। इसमें सीधी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या ज्यादा होती है। प्रतियोगी परीक्षाएं तीन फेज प्रिलिमिनरी, मेंस और इंटरव्यू में आयोजित की जाती है। वहीं सीधी भर्ती की परीक्षा दो चरणों प्री और इंटरव्यू में आयोजित होती है। इन परीक्षाओं में बायोमेट्रिक अटेंडेंस से फर्जी अभ्यर्थियों पर रोक लग सकेगी।
उन्होंने कहा कि फिलहाल कमिशन ने नवंबर दिसंबर में हुए मेंस एग्जाम में बायोमेट्रिक अटेंडेंस को फिलहाल पायलट के तौर पर अप्लाई किया है लेकिन किसी भी परीक्षा में मेंस की बजाए प्री एग्जाम में बैठने वाले अभ्यर्थियों की संख्या ज्यादा होती है। ऐसे में प्री के लिए तो अभी तक इसका प्रयोग नहीं किया जा सका है लेकिन जनवरी 2019 में आयोजित होने वाली सभी प्रिलिमिनरी परीक्षा में बायोमेट्र्रिक अटेंडेंस ही होगी। इसके लिए एग्जाम हॉल में प्रवेश करते ही छात्रों को मशीन पर अपना अंगूठा प्रेस करना होगा फिर उसके फोटो के जरिए उसका वेरीफिकेशन होगा। इसके बाद ही उसे एग्जाम देने की अनुमति मिलेगी। चंद्रशेखर ओक ने कहा कि इस बार फार्म भरते समय ही आधार डिटेल्स अपलोड करवाई गईं हैं, ताकि अभ्यर्थियों का वैरीफिकेशन किया जा सका। हाल ही में Women and Child Welfare department की परीक्षा में भी इसका उपयोग किया गया था।
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