बजट 2018 : सरकारी स्कूलों में अभी भी है स्टाफ और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Feb, 2018 05:16 PM

budget 2018  government schools still lack staff and infrastructure

आम बजट 2018-2019 की घोषणा हो चुकी है। जिसमें दिल्ली को 790 करोड़ रुपए दिए गए हैं। जिन घोषणाओं...

नई दिल्ली : (पुष्पेंद्र मिश्र) आम बजट 2018-2019 की घोषणा हो चुकी है। जिसमें दिल्ली को 790 करोड़ रुपए दिए गए हैं। जिन घोषणाओं की उम्मीद दिल्ली वित्त मंत्री जेतली से कर रही थी 1000 करोड़ के शिक्षा बजट में वो कहीं नजर नहीं आई। जेतली ने 24 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने का ऐलान किया है। आपको बता दें दरअसल ये मेडिकल कॉलेज तमाम राज्यों के जिला अस्पतालों को अपग्रेड करके बनाए जाने हैं, जिनमें दिल्ली को कोई मेडिकल कॉलेज नहीं मिल रहा। सरकारी स्कूल अध्यापक यूनियन (जीएसटीए) के अध्यक्ष सीपी सिंह कहते हैं कि दिल्ली में ही करीब 100 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को खोले जाने की जरूरत है। उन्होंने दिल्ली के कई इलाकों में बने सरकारी स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमी की ओर इशारा करते हुए बताया कि यमुनापार, बदरपुर, मोडलबंद, करावल नगर, सोनिया विहार आदि इलाकों के सरकारी स्कूलों में बेसिक सुविधाएं पूरी नहीं हैं। स्कूलों में खिलाडिय़ों के लिए स्कॉलरशिप नहीं बढ़ाई गई हम शिक्षा ऋण पर ब्याज दर घटेगी ये सोच रहे थे लेकिन यह नहीं हुआ।

दिल्ली की ही एडहॉक टीचर्स एसोसिएशन से रचना कहती हैं कि बजट से बहुत आशा थी लेकिन कुछ नहीं मिला बजट में जेतली ने डिजिटल बोर्ड की बात कही, पहले सभी स्कूलों में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर पूरा करने की जरूरत है, कई सरकारी स्कूलों में पीने के साफ पानी और वॉश रूम की दिक्कत है। महिला अध्यापकों के लिए सुरक्षा की आवश्यकता है। स्कूलों के स्टॉफ अध्यापकों को छोड़कर क्लर्क चपरासी जैसे खाली पड़े पदों को भरे जाने की जरूरत है। दास्तां संगठन से मनोज कहते हैं बजट में स्मार्ट क्लासेस की घोषणा की उपेक्षा की जा रही थी। प्राइवेट स्कूल फीस लेकर सुविधाएं दे रहे हैं। कई सरकारी स्कूल अभी ब्लैक बोर्ड पर चल रहे हैं। छात्रों की उन्नति के लिए क्लासों का स्मार्ट होना जरूरी है। बैपटिस्ट चर्च ट्रस्ट एसोसिएशन (बीसीटीए) से सुमित नाथ कहते हैं कि कें द्रीय बजट 2018 शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ‘राइस’ योजना ला रहा है जिसमें 4 साल में सरकार एक लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी। शिक्षा के बुनियादी ढांचे और निजी तथा सरकारी स्कूलों के प्रणालियों में एक बड़ी असमानता है, जिसमें इस तरह की योजनायें इस अंतर को पूरा करने में सहायक होगी।

पूर्वी दिल्ली में एक नए मेडिकल कॉलेज की जरूरत
पूर्वी दिल्ली के यमुना पार इलाके में एक मेडिकल कॉलेज की सख्त आवश्यकता है लेकिन बजट में दिल्ली को एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं दिया गया। फिलहाल गुरु तेग बहादुर अस्पताल ही इलाके में इलाज का केंद्र बना हुआ है।

27000 अध्यापकों के पद रिक्त
दिल्ली सरकार को स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए 27 हजार अध्यापकों की रिक्तियों को जल्द भरना होगा। कई सरकारी स्कूल स्टॉफ की कमी का सामना कर रहे हैं। जिससे वहां की शिक्षा व्यवस्था दिन -ब -दिन लचर होती जा रही है।  शिक्षकों पर पढ़ाने के अलावा भी सरकारी योजनाओं का लोड होता है। जिससे रिक्तियां भरना अतिआवश्यक है।

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