प्लास्टिक टेक्नोलाजी में है करियर की नई संभावनाएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Mar, 2018 07:29 PM

career new possibilities in plastic technology

प्लास्टिक का हम सबके जीवन में कितना अधिक महत्त्व हो चुका है, इस बारे में शायद ज्यादा बताने की जरुरत  नहीं है। घटते वन ...

नई दिल्ली : प्लास्टिक का हम सबके जीवन में कितना अधिक महत्त्व हो चुका है, इस बारे में शायद ज्यादा बताने की जरुरत नहीं है। घटते वन क्षेत्र को बढाने, प्रदूषण की रोकथाम एवं पेड़ों के संरक्षण संबंधी कानूनों के अस्तित्व में आने के बाद रोजमर्रा की जिदंगी से जुड़े कार्यकलापों से लेकर फर्नीचर निर्माण एवं अन्तरिक्ष टेक्नोलोजी कार्यक्रम में भी प्लास्टिक की उपयोगिता दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। अपने टिकाऊपन,लागत में सस्ती और मजबूती के गुणों के कारण कारों एवं हवाई जहाज तक के निर्माण में इसका उपयोग हाल के वर्षों में भारी मात्रा में होने लगा है। इंडस्ट्री का निरंतर विस्तार होने के कारण इसमें विशेषज्ञों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट का कार्य इस इंडस्ट्री में बहुत ही महत्वपूर्ण है।

कार्य 
प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट रॉ मैटीरियल को विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजार कर प्रोडक्ट्स का निर्माण करते हैं। वे शोध व अनुसंधान का कार्य भी करते हैं। इन्हीं कार्यों के फलस्वरूप हर दिन नए प्रकार के प्रोडक्ट्स बाजार में लॉन्च होते हैं।

योग्यता
बीटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी में प्रवेश पाने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमेटिक्स विषयों के साथ 10+2 में कम से कम 50 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी है। एमटेक या पीजी  डिप्लोमा करने के लिए केमिकल इंजीनियरिंग/ प्लास्टिक रबर टेक्नोलॉजी/ मैकेनिकल इंजीनियरिंग/ टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में बीटेक/ बीई डिग्री या डिप्लोमा आवश्यक है। फिजिक्स अथवा केमिस्ट्री में एमएससी करने वाले छात्र भी प्लास्टिक टेक्नोलॉजी में एमटेक कर सकते हैं। जिन छात्रों ने गेट परीक्षा पास की है, उन्हें एमटेक में प्राथमिकता दी जाती है।

व्यक्तिगत गुण
इस इंडस्ट्री में भविष्य संवारने के लिए युवाओं के पास शैक्षणिक योग्यता के साथ कठोर परिश्रम, कल्पनाशीलता तथा भौतिक व रसायन विज्ञान में गहरी रुचि आवश्यक है।

अवसर
भारत सरकार ने प्लास्टिक उद्योग को उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र माना है। भारत में प्लास्टिक की मांग प्रतिवर्ष 10 से 14 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इस उद्योग में भारत का 3500 करोड रुपये का सालाना कारोबार है, जिसके 2014 तक 6500 करोड रुपये सालाना होने की उम्मीद है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में बढ़ती प्लास्टिक की खपत को देखते हुए आगामी वर्षो में 15 लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। प्लास्टिक टेक्नोलॉजी का कोर्स पूरा कर लेने के बाद कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स में नौकरी प्राप्त की जा सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र में प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट को पेट्रोलियम मंत्रालय, ऑयल ऐंड नेचुरल गैस कमीशन, इंजीनियरिंग संयंत्रों, पेट्रोकेमिकल्स, विभिन्न राज्यों में पॉलिमर्स कॉरर्पोरेशन्स, पेट्रोलियम कंजर्वेशन, रिसर्च असोसिएशन ऑफ इंडिया आदि में करियर के अच्छे अवसर हैं। इसके अलावा मार्केटिंग व प्रबंधन के क्षेत्र में भी काफी स्कोप हैं।

कमाई
सरकारी क्षेत्र में प्लास्टिक टेक्नोलॉजिस्ट की शुरुआती सैलरी 8 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह होती है। प्राइवेट कंपनियों में शुरुआती स्तर पर 10 से 12 हजार रुपये प्रतिमाह या इससे भी अधिक प्राप्त हो सकते हैं। 2 या 3 सालों के अनुभव के बाद 20 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से कमा सकते हैं।

कोर्स
बीटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (4 वर्ष)
एमटेक इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (2 वर्ष)
डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (3-4 वर्ष)
डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक मोल्ड डिजाइन (3-4 वर्ष)
पीजी डिप्लोमा इन प्लास्टिक प्रोसेसिंग ऐंड टेस्टिंग (18 माह)

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