12वीं के बाद कॉमर्स में इन फील्ड्स में भी बना सकते है करियर

Edited By bharti,Updated: 21 Apr, 2018 06:48 PM

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आज के समय में सही करियर का चुनाव करना बहुत जरुरी हो गया है ,क्योंकि करियर को लेकर किया गया एक सही ...

नई दिल्ली : आज के समय में सही करियर का चुनाव करना बहुत जरुरी हो गया है ,क्योंकि करियर को लेकर किया गया एक सही फैसला ही व्यक्ति को सही और गलत रास्ते पर ले जाता है । आमतौर पर लोग सोचते है कि अगर 12वीं कॉमर्स से कर ली है तो केवल कुछ लिमिटेड फील्ड में ही करियर बना सकते है,लेकिन एेसा नहीं है । अगर आपने 12वीं कार्मस विषय से की है आप कई सारे फील्डस में करियर बना सकते है। 

बीकॉम ऑनर्स
बीकॉम ऑनर्स एक स्पेशलाइज्ड कोर्स है, जिसे करने के बाद आमतौर पर छात्र किसी बैंक, फाइनांशियल इंस्टीट्य़ूट, सरकारी, गैर सरकारी संस्थान व उद्योग आदि में नौकरी कर सकते हैं। इन संस्थानों में बीकॉम ऑनर्स के छात्रों को सभी विभागों में काम करने का मौका मिलता है। चाहे वह मार्केटिंग हो या फिर प्रशासनिक काम, इन सभी विभागों में इनके लिए अवसर होते हैं।

बीकॉम प्रोग्राम
यह बीकॉम ऑनर्स से थोड़ा हल्का और सामान्य स्तर का कोर्स है। इसमें मुख्य रूप से छात्रों को फाइनांशियल अकाउंटिंग, इकॉनोमिक्स, बिजनेस संगठन, मैनेजमेंट, कंपनी लॉ, मार्केटिंग, मानव संसाधन, सांख्यिकी,  इ-कॉमर्स, मार्केटिंग और अंग्रेजी में कम्युनिकेशन स्किल आदि का अध्ययन कराया जाता है। इसमें अच्छे अंक लाने पर  एम कॉम में दाखिले का रास्ता निकल कर आता है। बीकॉम प्रोग्राम में दाखिला बीकॉम ऑनर्स की तुलना में कम अंकों पर मिल जाता है। इसमें छात्रों को उद्यमशीलता की ट्रेनिंग देने पर भी जोर दिया जाता है।

गणित ऑनर्स
कॉमर्स के ऐसे छात्र, जिन्होंने गणित में बहुत अच्छे अंक हासिल किए हैं, उनके लिए गणित और इससे संबंधित सांख्यिकी और आपरेशनल रिसर्च जैसे कोर्स भी कालेजों में उपलब्ध हैं। दाखिले के दौरान अनिवार्य रूप से गणित की मांग की जाती है।

सीएस
सीएस यानी कंपनी सक्रेटरीशिप का कोर्स आमतौर पर बारहवीं के बाद कराया जाता है। इंस्टीच्य़ूट ऑफ  कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ  इंडिया देश में विभिन्न जगहों पर स्थित सेंटरों के जरिए तीन स्तरीय कोर्स कराता है। कंपनी सेक्रेटरी बनने के दो रास्ते हैं। पहला बारहवीं के बाद और दूसरा स्नातक के बाद। बारहवीं पास छात्र को तीन स्तरीय कोर्स करना होता है। पहली स्टेज पर फाउंडेशन, दूसरे पर एग्जीक्यूटिव और तीसरे स्तर पर प्रोफेशनल प्रोग्राम होता है। कंपनी की प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालने का काम करता है सीएस। कंपनी में लॉ का पालन हो रहा है या नहीं, उसका विकास किस दिशा में हो रहा है, इसे देखने और परखने की जिम्मेदारी कंपनी सेक्रेटरी की होती है।

कम्प्यूटर साइंस
कॉमर्स के छात्र, जिन्होंने बारहवीं में कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई की है, वे स्नातक में कम्प्यूटर साइंस से अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं। बीएससी कम्प्यूटर साइंस या बैचलर इन कम्प्यूटर एप्लिकेशन में ऐसे छात्रों को बखूबी दाखिला दिया जाता है। कम्प्यूटर में डिप्लोमा कोर्स के जरिए भी आप अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं

कॉस्ट अकाउंटेंसी
सीए से मिलता-जुलता कोर्स और काम है कॉस्ट अकाउंटेंट का। देश में तरह-तरह की उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन होता है। इन वस्तुओं की वास्तविक लागत क्या है, उसे किस कीमत पर और कितने मुनाफे के साथ बाजार में उतारना है, इसका हिसाब-किताब और आकलन करने का काम काम कॉस्ट अकाउंटेंट करता है। इसके लिए भी कोर्स और ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। दि इंस्टीटयूट ऑफ  कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट ऑफ  इंडिया इसके लिए विभिन्न चरणों में कोर्स पूरा कराता है। इसे पूरा करने वाले छात्र को कॉस्ट अकाउंटेंट और इससे जुड़े पदों पर काम मिलता है।

फाइनांशियल स्टडीज
कॉमर्स के छात्रों के लिए फाइनांशियल स्टडीज का कोर्स भी कई दशकों से विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में कराया जा रहा है। यह बीकॉम ऑनर्स से थोड़ा हट कर है। यह फाइनांस के क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन की ओर ले जाता है। सरकारी के अलावा आज यह कोर्स निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी चलाया जा रहा है। इसे करने के बाद छात्र फाइनांशियल स्टडीज में एमए कर सकते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों के लिए फाइनांस में एमए कराता है।

अर्थशास्त्र
अर्थशास्त्र ऑनर्स की पढ़ाई वैसे तो आर्ट्स और सोशल साइंस से जुड़ी मानी जाती है, लेकिन व्यावसायिक गतिविधियों से संबंधित होने के कारण बीकॉम के छात्र इसमें ज्यादा रुचि लेते हैं। बारहवीं में कॉमर्स की पढ़ाई करने वाले बहुत से छात्र आगे चल कर अर्थशास्त्र में स्पेशलाइजेशन की ओर बढ़ते हैं। वे अर्थशास्त्र से बीए और एमए करते हैं। विभिन्न व्यावसायिकए फाइनांस और बैकिंग संस्थाओं में अर्थशास्त्री के रूप में काम करते हैं।

सीए
चार्टर्ड अकाउंटेंसी का कोर्स इंस्टीटय़ूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया कराता है। यह कोर्स सभी डिसिप्लिन के छात्रों को रोजगार की अलग राह दिखाता है। व्यवहार में आमतौर पर बारहवीं में कॉमर्स पढ़ने वाले या बीकॉम के छात्रों का यह सबसे पसंदीदा कोर्स हैए क्योंकि इसके सिलेबस में कॉमर्स का भाग ज्यादा है।  एक दशक पहले तक सीए का काम खाली अकाउंटिंग तक ही सीमित थाए लेकिन जमाना कुछ ऐसा बदला कि बिजनेस के क्षेत्र में होने वाली हर बड़ी और छोटी डील में वह अहम खिलाड़ी बन कर उभर रहा है।
 

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