CBSE: दिव्यांग छात्रों के लिए क्रांतिकारी सुधार का सुझाव

Edited By Sonia Goswami,Updated: 19 Sep, 2018 09:14 AM

cbse suggestions for revolutionary reforms for divya students

सीबीएसई ने दिव्यांग छात्रों के लिए क्रांतिकारी सुधार का प्रस्ताव रखा है। सीबीएसई ने विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए कुछ खास कदम उठाने का सुझाव दिया है जिसमें विषय के तौर पर भारतीय साइन लैंग्वेज या ब्रेल ऑफर करना, कंप्यूटर आधारित टेस्ट, हाजिरी में...

नई दिल्लीः सीबीएसई ने दिव्यांग छात्रों के लिए क्रांतिकारी सुधार का प्रस्ताव रखा है। सीबीएसई ने विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए कुछ खास कदम उठाने का सुझाव दिया है जिसमें विषय के तौर पर भारतीय साइन लैंग्वेज या ब्रेल ऑफर करना, कंप्यूटर आधारित टेस्ट, हाजिरी में छूट, अहम विषयों के लिए अलग-अलग कठिनाई स्तर का विकल्प और विषयों के चयन में लचीलता प्रदान करना है। 

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एचआरडी मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'कुछ अहम सुझावों में विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए एक विषय के तौर पर इंडियन साइन लैंग्वेज शामिल है। बोर्ड परीक्षाओं में भाषा के दो या एक अनिवार्य पेपर की जो मौजूदा शर्त है, उसमें भी इस तरह के बच्चों को छूट दी जा सकती है और बोर्ड द्वारा सुझाए गए फॉर्म्युले के मुताबिक इसकी जगह बच्चों को इंडियन साइन लैंग्वेज का ऑप्शन दिया जा सकता है। इसी तरह से ब्रेल को भी भाषा के एक विकल्प के तौर पर ऑफर किया जा सकता है।' 

सैंट्रल बोर्ड ऑफ सैकेंडरी एजुकेशन ने सभी राज्यों और हितधारकों को पत्र लिखकर उनसे पलिसी के ड्राफ्ट पर टिप्पणी करने को कहा है। इस पॉलिसी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश के लिए एक मॉडल के तौर पर पेश कर सकता है। 

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पॉलिसी के ड्राफ्ट में बोर्ड ने कहा है कि टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके पढ़ने-पढ़ाने और परीक्षाओं को सभी के लिए सुलभ बनाया जाए लेकिन मौजूदा समय में संसाधनों की कमी सबसे बड़ी समस्या है। पॉलिसी के ड्राफ्ट में बोर्ड ने सेकंड्री और सीनियर सैकेंडरी  लेवल पर ज्यादा ऐसे विषयों का ऑप्शन देने को कहा है जो कौशल आधारित हों। गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे अहम विषयों को सभी छात्रों के लिए रुचिकर बनाने के लिए इसमें दो या तीन कठिनाई स्तर का विकल्प मुहैया कराने को कहा है। कठिनाई स्तर का यहां मतलब है कि एक विकल्प ऐसा होगा जिसमें ज्यादा कठिनाई वाले टॉपिक होंगे, दूसरे में उससे कम कठिन टॉपिक और तीसरे में और भी कम कठिन टॉपिक होंगे। इससे छात्र अपनी शैक्षिक प्रतिभा के मुताबिक, विकल्प का चुनाव करने की स्थिति में होंगे। इसके अलावा सीनियर सेकंड्री लेवल में अलग-अलग विषयों के कॉम्बिनेशन का भी प्रस्ताव दिया है। 

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