Edited By Sonia Goswami,Updated: 11 Nov, 2018 11:18 AM
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बाल सुधार गृहों में रहने वालों बच्चों को ट्यूशन दिए जाने की अनुशंसा की है ताकि वे मुख्यधारा की शिक्षा की ओर लौट सकें।
नई दिल्लीः राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बाल सुधार गृहों में रहने वालों बच्चों को ट्यूशन दिए जाने की अनुशंसा की है ताकि वे मुख्यधारा की शिक्षा की ओर लौट सकें। बाल अधिकारों की शीर्ष संस्था ने पाया कि इस प्रकार के गृहों में शिक्षा को अहमियत नहीं दी जाती है, जिसके बाद संस्था ने बाल सुधार गृहों में शिक्षकों की नियुक्ति की सिफारिश की ताकि बच्चों को शिक्षित किया जा सके।
एनसीपीसीआर ने इसके अलावा कहा कि जैसे ही किसी बच्चे को सुधार गृह भेजने की प्रक्रिया शुरू होती है वैसे ही इन गृहों को बच्चे की शिक्षा के संबंध में काम शुरू कर देना चाहिए। ‘भारत में बाल सुधार गृहों में गुणवत्ता शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की उपलब्धता’नामक रिपोर्ट में एनसीपीसीआर ने कहा कि बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के लायक तैयार करने के वास्ते उन्हें ट्यूशन्स दिए जाने चाहिए।
इस अध्ययन के लिए 50 बाल सुधार गृहों को चुना गया जिनमें कम से कम 2,691 बच्चे रह रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि, ‘‘42 बाल सुधार गृहों में बच्चों की शिक्षा के लिए न तो कोई अलग बजट है और कि किसी प्रकार का फंड हैं। इनमें से चार बाल सुधार गृह एनजीओ चला रहे हैं शेष सभी सरकारी हैं।’’ उसमें कहा गया, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि सरकारी गृहों में विशेष बजट प्रावधान नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि शिक्षा को तरजीह नहीं दी जा रही है।’’ एनसीपीसीआर ने बाल सुधार गृहों में कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना करने के भी सुझाव दिए।