Edited By pooja,Updated: 28 Apr, 2018 02:58 PM
हर देश में शिक्षा व्यवस्था अलग होती है, जिसके माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जाती है। आज चीन के शिक्षा व्यवस्था के बारे में कुछ बातें बताने जा रहे हैं,
नई दिल्ली: हर देश में शिक्षा व्यवस्था अलग होती है, जिसके माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जाती है। आज चीन के शिक्षा व्यवस्था के बारे में कुछ बातें बताने जा रहे हैं, जिससे आप जान पाएंगे कि भारत और चीन की पढ़ाई में कितना अंतर है।
6 साल की उम्र से शुरू होता है स्कूल
चीन में बच्चें स्कूल जाना 6 साल की उम्र से शुरू करते हैं और बच्चे ग्रेड 1 में 6 साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू करते हैं। यह प्राइमेरी एजुकेशन का हिस्सा होता है ।
प्राइमेरी एजुकेशन
प्राइमेरी एजुकेशन लेने के बाद बच्चों को जूनियर सेकेंडरी में भाग लेना होता है, जिसमें ग्रेड 7 से ग्रेड 9 तक पढ़ाई करवाई जाती है और 15 साल तक बच्चे इसे पूरा करते हैं। इसे चीन में chuzhong के नाम से जाना जाता है।
सेकेंडरी एजुकेशन
उसके बाद सेकेंडरी एजुकेशन होती है, जिसमें 10 तक की पढ़ाई करवाई जाती है, जिसे gaozhong कहा जाता है और उसके बाद पोस्ट सेकेंडरी की पढ़ाई करवाई जाती है। यहां स्कूली पढ़ाई 14वीं ग्रेड तक होती है और उसके बाद बैचुलर या मास्टर डिग्री करवाई जाती है।
कुछ अलग नियम
चीन में अगर यूनिफार्म की बात करें तो भी अलग है। चीन के कुछ स्कूलों में सेंट्रल हीटिंग नहीं है, जिसकी वजह से बच्चों और टीचरों को सर्दियों में अपने ओवरकोट उतारने पड़ जाते हैं। यहां के स्कूलों की ड्रैस भी अलग होती है, जिसमें चौड़ी पैंट और जैकेट आदि शामिल होते हैं।
दो बार वार्म-अप
चीन की स्कूलों में बच्चों को दिन में एक बार नहीं बल्कि दो बार वार्म-अप करना होता है। सुबह के बाद बच्चों को दोपहर में भी वॉर्म अप करवाया जाता है।
इंटरवल टाइम है ज्यादा
यहां स्कूलों में बच्चों को खाना खाने के लिए एक घंटे का टाइम दिया जाता है और कुछ स्कूलों में बच्चों को बीच में सोने की इजाजत भी दी जाती है। यहां बच्चे थोड़ी देर स्कूल टाइम में भी नींद ले सकते हैं।