पिछड़े जिलों में खुलेंगे मॉडल कालेज,तेजी लाने के निर्देश

Edited By Sonia Goswami,Updated: 17 Jul, 2018 03:58 PM

colleges to open in backward districts expeditious instructions

सरकार देश के 117 पिछड़े जिलों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए 1700 करोड़ की लगत से 70 नए मॉडल कालेज खोलने जा रही है और 29 कालेजों विकसित कर उन्हें मॉडल डिग्री कालेज बनाने जा रही है

नई दिल्लीः सरकार देश के 117 पिछड़े जिलों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए 1700 करोड़ की लगत से 70 नए मॉडल कालेज खोलने जा रही है और 29 कालेजों विकसित कर उन्हें मॉडल डिग्री कालेज बनाने जा रही है और इसके अलावा सात नए प्रोफेशनल कालेज भी खोले जाएगे। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस योजना को तेजी से लागू करने का सभी राज्यों को निर्देश दिया है इस बारे में कल उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और सचिवों को भी संबोधित किया।  

 

1700  करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि आवंटित  

उन्होंने सभी राज्यों से अनुरोध किया कि वे बराबरी एवं उत्कृष्टता के लक्ष्यों को प्राप्त करने से संबंधित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप इन जिलों में शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ शिक्षा से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को भी बेहतर करने के लिए ‘रुसा’और ‘समग्र शिक्षा’ के तहत विभिन्न विशेष एवं विशिष्ट योजनाओं को तेजी से लागू करें।  उन्होंने बताया कि इन जिलों में 70 नए मॉडल कॉलेजों की स्थापना, मौजूदा डिग्री कॉलेजों का अद्यतन करके उन्हें मॉडल डिग्री कॉलेजों में तब्दील करने, नए निर्माण, अद्यतन/पुनरुत्थान एवं उपकरणों की खरीद के जरिए बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को मजबूत करने और छात्रावासों, प्रयोगशालाओं एवं पुस्तकालयों के निर्माण/अद्यतन, इत्यादि के लिए अब तक 1700 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि आवंटित की गई है। 

 

उन्तीस कॉलेजों को अद्यतन करके उन्हें मॉडल डिग्री कॉलेजों में तब्दील करना, सात नए प्रोफेशनल कॉलेज (यथा इंजीनियरिंग एवं प्रबंधन), 188 कॉलेजों और नौ विश्वविद्यालयों को बुनियादी ढांचागत अनुदान देना भी इस सहायता राशि में शामिल है। उन्होंने यह भी बताया कि उच्च शिक्षा में समानता लाने के लिए महिलाओं, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति और शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े समुदायों पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है और शिक्षा के मानक को बेहतर करने के उद्देश्य से पांच करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया जा रहा है। 

 

पेयजल तथा स्कूलों में स्वच्छता का प्रावधान

स्कूली शिक्षा का उल्लेख करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि छात्राओं के लिए अलग शौचालयों के निर्माण और उनके रखरखाव के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पेयजल तथा स्कूलों में स्वच्छता का प्रावधान भी किया गया है। केंद्र सरकार ने सरकारी स्कूलों में शौचालयों के रखरखाव और पीने के साफ पानी की व्यवस्था करने के लिए धनराशि का पहले ही प्रावधान कर दिया है तथा इसके लिए पंचायती राज संस्थाओं को अधिकृत किया गया है। 

 

उन्होंने कहा, मैं राज्य सरकारों से आग्रह करता हूं कि वे पंचायती राज स्तर पर उचित समन्वय सुनिश्चित करें। उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे सरकारी स्कूलों में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करें। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि कुछ स्कूलों में बिजली बिलों का भुगतान न होने के कारण उनकी बिजली काट दी जाती है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने समग्र शिक्षा के तहत दिया जाने वाला अनुदान 14000 रुपए से बढ़ाकर 25000 रुपए और 50,000 रुपए से बढ़ाकर 100,000 रुपए कर दिया है। 

 

राज्य सुनिश्चित करें की बिजली बिलों का भुगतान समय पर कर दिया जाए। मंत्री महोदय ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे बिजली वितरण कंपनियों को इस बात पर राजी करें वे वाणिज्यिक दर के बजाय घरेलू कनेक्शन की दर से बिजली आपूर्ति करें। वे इस बात का ध्यान रखें कि सरकारी स्कूल लाभ कमाने वाले संस्थान नहीं हैं और वे छात्रों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करते हैं। कुछ राज्यों में छात्रों को पाठ्य पुस्तकों के वितरण में विलंब की चर्चा करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि जुलाई में ही छात्रों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएं। उन्होंने कहा, आकांक्षी जिलों के कुछ स्कूलों में अध्यापकों की उपलब्धता की समस्या है परंतु असलियत यह है कि देश में शिक्षकों की कोई कमी नहीं है। समस्या उनकी उचित तैनाती की है। हमारे पास हर 30 छात्रों पर एक शिक्षक उपलब्ध है। राज्य सरकारों को आकांक्षी जिलों के स्कूलों के शिक्षकों की उचित तैनाती सुनिश्चित करनी चाहिए और जहां आवश्यक हो वहां शिक्षकों की भर्ती की जाए। 
 

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