...जब शिक्षा के कानून पर अदालत ने कहा, ‘चमत्कार की उम्मीद मत कीजिए’

Edited By pooja,Updated: 17 Nov, 2018 10:39 AM

court said on the law of education

उच्चतम न्यायालय ने करीब साढ़े तीन करोड़ गरीब बच्चों को औपचारिक रूप से स्कूल तक लाने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) को लागू करने की मांग वाली

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने करीब साढ़े तीन करोड़ गरीब बच्चों को औपचारिक रूप से स्कूल तक लाने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) को लागू करने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर आगे सुनवाई से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में ‘‘चमत्कार की उम्मीद मत कीजिए।’’      

शीर्ष अदालत ने इससे पहले याचिकाकर्ता एवं पंजीकृत सोसायटी ‘अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ’ से बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन पर केन्द्र को ज्ञापन सौंपने को कहा था।      


देश में आरटीई कानून के क्रियान्वयन की निगरानी से इंकार करते हुए प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘चमत्कार की उम्मीद मत कीजिए। भारत बहुत विशाल देश है। कई प्राथमिकताएं हैं और निश्चित रूप से, शिक्षा इन प्राथमिकताओं में शामिल है।’’ पीठ ने इस तथ्य पर संज्ञान लिया कि केन्द्र ने ज्ञापन पर गौर करने के बाद जवाब दिया है। पीठ ने कहा, ‘‘हमने याचिकाकर्ता के वकील को सुना और संबंधित सामग्री पर गौर किया। हम हस्तक्षेप के इच्छुक नहीं हैं। अत: रिट याचिका खारिज की जाती है।’’      
 

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