Edited By Riya bawa,Updated: 03 Dec, 2019 10:37 AM
कुछ के सपने साकार हो जाते हैं, तो कुछ उसे सच करने की कोशिश में लगे रहते...
नई दिल्ली: कुछ के सपने साकार हो जाते हैं, तो कुछ उसे सच करने की कोशिश में लगे रहते हैं। घर में आंखों में एक गहराई सी है जो खुशियों से इतनी भरी है कि खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसा ही होता है जब किसी की बरसों की मेहनत, दिनरात जागने की तपस्या और हर पल संघर्ष, एक बड़ी सफलता में बदलता है। अर्चना की कहानी मुश्किलों से जूझते नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है।
आज आपको एक ऐसी कहानी से रूबरू करवाने जा रहे है जिसने बचपन में अपने पिता को अदालत में चपरासी का काम करते हुए ठाना था कि वो बड़ी होकर जज बनेगी। बचपन की अपनी इस जिद को वो हकीकत में आज वो हकीकत में बदल चुकी है। आज उस लड़की ने न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा पास कर ली है इस लड़की का नाम है अर्चना। अर्चना ने बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा पास कर ली है।
जानें- कैसे पूरा किया सपना
1. पटना के कंकड़बाग की रहने वाली अर्चना का बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में चयन हुआ है। साधारण से परिवार में जन्मी अर्चना के पिता गौरीनंदन सारण जिले के सोनपुर व्यवहार न्यायालय में चपरासी पद पर थे।
2. अर्चना ने बताया उनके पिता गौरीनंदन प्रतिदिन किसी न किसी जज का 'टहल' बजाते थे, ये देखकर उन्हें अच्छा नहीं लगता था। स्कूली शिक्षा के दौरान ही मैंने जज बनने की ठाना था।
3. पटना यूनिवर्सिटी से की ग्रेजुएट
'शास्त्रीनगर राजकीय उच्च विद्यालय से 12वीं और पटना विश्वविद्यालय से हॉयर एजुकेशन ली है। इसके बाद शास्त्रीनगर राजकीय उच्च विद्यालय में वह छात्रों को कंप्यूटर सिखाने लगीं।
4. अर्चना का कहना है कि सपना तो जज बनने का देख लिया था, लेकिन इस सपने को साकार करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा, शादीशुदा और एक बच्चे की मां होने के बावजूद मैंने हौसला रखा और आज मेरा सपना पूरा हो गया है।
5. शादी के बाद टूटा हौसला
विवाह के बाद अर्चना को लगा कि अब उनका सपना पूरा नहीं हो पाएगा लेकिन हालात कुछ यूं बदले कि अर्चना पुणे विश्वविद्यालय पहुंच गईं, जहां से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की। इसके बाद उन्हें फिर पटना वापस आ जाना पड़ा, लेकिन यहां भी उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी थी, साल 2014 में उन्होंने बीएमटी लॉ कॉलेज पूर्णिया से एलएलएम किया।
6. दूसरे प्रयास में मिली सफलता
अर्चना ने अपने दूसरे प्रयास में बिहार न्यायिक सेवा में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने आईएएनएस से कहा कि जज बनने का सपना तब देखा था जब मैं सोनपुर जज कोठी में एक छोटे से कमरे में परिवार के साथ रहती थी। छोटे से कमरे से मैंने जज बनने का सपना देखा जो आज पूरा हुआ है।
"अर्चना बताती हैं कि पिता की मौत के बाद तो जीवन की गाड़ी ही पटरी से ही उतर गई थी। इस समय उनकी मां ने उन्हें हर मोड़ पर साथ दिया, उन्हें परिवार के अलावा कई शुभचिंतकों का भी साथ मिला, जिन्हें भी वह शुक्रिया कहती हैं"