इतिहास के पन्नों में निष्ठा और ईमानदारी के लिए  जाने जाते हैं दीनदयाल उपाध्याय

Edited By Sonia Goswami,Updated: 25 Sep, 2018 09:46 AM

deendayal upadhyaya birthday

भारतीय जनता पार्टी जनसंघ के संस्थापक और ''एकात्म मानववाद'' का संदेश देने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारक दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिवस बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी कर रही है। 25 सिंतबर को दीनदयाल उपाध्याय की जयंती है और इस मौके पर देश-भर में...

नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी जनसंघ के संस्थापक और 'एकात्म मानववाद' का संदेश देने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारक दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिवस बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी कर रही है। 25 सिंतबर को दीनदयाल उपाध्याय की जयंती है और इस मौके पर देश-भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। उपाध्याय अपनी निष्ठा और ईमानदारी के लिए भी जाने जाते थे।

वे अखंड भारत के समर्थक रहे, उन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को परिभाषित किया और समाज के सर्वांगीण विकास और उत्थान के लिए भी अनेक कार्य किए. कहा जाता है कि उपाध्याय ने ही 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा दी थी।

राष्ट्र की सेवा में सदैव तत्पर रहने वाले दीनदयाल उपाध्याय का यही उद्देश्य था कि वे अपने राष्ट्र भारत को सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षिक क्षेत्रों में बुलंदियों तक पहुंचा देख सकें. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा के नगला चंद्रभान नाम के गांव में हुआ था।


उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा राजस्थान के सीकर में प्राप्त की थी. दीनदयाल ने अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा पिलानी में विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण की। उसके बाद बी.ए. की शिक्षा ग्रहण करने के लिए कानपूर आ गए जहां वो सनातन धर्मं कॉलेज में भर्ती हो गए. उसके बाद उन्होंने बी.ए. की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और एम.ए. की पढ़ाई के लिए आगरा चले गए।

 अपने एक दोस्त बलवंत महाशब्दे की प्रेरणा से वे साल 1937 में वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए। साल 1955 में वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर प्रदेश के प्रांतीय संगठक (प्रान्त प्रचारक) बन गए। उन्होंने लखनऊ में राष्ट्र धर्म प्रकाशन नामक प्रकाशन संस्थान की स्थापना की और यहां से "राष्ट्र धर्म" नाम की मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया।


जनसंघ के गठन में अहम भूमिका

1950 में डॉक्टर श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया और देश में एक वैकल्पिक राजनीतिक मंच बनाने का कार्य शुरू किया, जिसमें दीनदयाल उपाध्याय ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. उसके बाद 21 सितंबर 1951 को उन्होंने उत्तर प्रदेश में एक राजनीतिक सम्मेलन का सफल आयोजन किया। इसी सम्मेलन में देश में एक नए राजनीतिक दल भारतीय जनसंघ की राज्य इकाई की स्थापना हुई. इसके एक महीने के बाद अक्टूबर मेंडॉक्टर श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ के प्रथम अखिल भारतीय सम्मेलन की अध्यक्षता की।

मुगलसराय स्टेशन पर मिली थी लाश

मुगलसराय स्टेशन का निर्माण 1862 में उस समय हुआ था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी हावड़ा और दिल्ली को रेल मार्ग से जोड़ रही थी। इस स्टेशन के निर्माण के 106 साल बाद 11 फरवरी 1968 को पं. दीनदयाल रेलवे जंक्शन के निकट पोल संख्या 1276 के पास रहस्यमय हालात में मृत अवस्था में पाए गए थे।

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