Edited By Riya bawa,Updated: 11 Sep, 2019 11:32 AM
आधुनिक युग में कामयाबी का कोई शॉर्टकट ...
नई दिल्ली: आधुनिक युग में कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं है, लेकिन कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो करियर को आसानी से ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। आज एक ऐसी ही सक्सेस स्टोरी की बात करने जा रहे है जिसमें बिना हाथों के जन्म लेने वाली देविका ने इसी साल अपने पैरों से लिखकर दसवीं की परीक्षा दी थी।
पहली गुरु यानी मां ने बढ़ाया हौसला
कहते हैं, इन्सान कोई भी जंग हाथों से नहीं बल्कि हौसले से जीतता है। केरल की देविका ने इसे सच कर दिखाया है। बिना हाथों के जन्मी देविका को सबसे पहला हौसला दिया उसकी पहली गुरु यानी मां ने। बता दें कि देविका की मां ने एक दिन उसके पैर की उंगलियों के बीच एक पेंसिल बांध दी थी, बस इसके बाद तो उसकी यात्रा शुरू हो चुकी थी। पहले अक्षर और फिर संख्याएं लिखने की कोशिश करते करते वो लिखना सीख चुकी थी।
देविका को इस वर्ष 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में सभी विषयों में A+ स्कोर मिला है। हाल ही में आए एसएसएलसी परीक्षा परिणाम आने के बाद देविका की मानो जिंदगी बदल चुकी है। हर एक इंसान जिंदगी में मुश्किलों से जूझते हुए किसी न किसी दिन सफलता हासिल करता है,ऐसा ही केरल की देविका के साथ हुआ। हर तरफ से उसे तारीफें और उपहार मिल रहे हैं, हर तरफ अब ख़ुशी का माहौल है।
जाने पूरा सफर
-केरल के मलप्पुरम में जन्मी देविका ने अपने सपनों के रास्ते में अपनी शारीरिक सीमाओं को कभी आड़े नहीं आने दिया, अब दसवीं पास करने के बाद वो आईएएस बनने का सपना देख रही है। वो देश की प्रतिष्ठित सिविल सेवा में शामिल होकर अपने परिवार और देश का नाम ऊंचा करना चाहती है, वो अपने लक्ष्य के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
-देविका के माता-पिता, सुजीत और सजिव ने हमेशा उसे पढ़ने में सहयोग दिया। वो चाहते थे कि वो अपनी बेटी को पढ़ा-लिखाकर इतना काबिल बना दें कि उसे कभी शारीरिक अक्षमता महसूस न हो। यही वजह है कि उन्होंने अपनी बेटी को इतने अच्छे ढंग से पढ़ाया कि उसने बिना किसी हेल्पर की मदद से अपने पैरों से लिखकर परीक्षा दी।
पढ़ाई और करियर
-पढ़ाई के साथ साथ देविका ने अपनी कोशिश से अब मलयालम, अंग्रेजी और हिंदी में लिखने में कुशल है। देविका मलप्पुरम के वल्लिकुनु में चंदन ब्रदर्स हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ी है। देविका को उनके स्कूल में टीचर्स ने भी पूरा सहयोग किया।
-मीडिया से बातचीत के दौरान देविका के पिता ने कहा कि देविका दूसरी बच्चियों की तरह ही है। कभी-कभी बहुत खुश होती है और कभी-कभी गुस्सा भी आता है, वो पूरे आत्मविश्वास से भरी है।
-तबीपलम पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ सिविल पुलिस अधिकारी सजीव ने कहा कि देविका की सफलता के पीछे उसकी कड़ी मेहनत है जिसके कारण उसे सफलता मिली है। देविका की मां सजीव ने कहा कि देविका को जिस तरह से इतने पुरस्कार और सम्मान मिल रहे हैं, वो बहुत रोमांचित है और उसका हौसला भी बढ़ा है। साल 2019 में उसने जूनियर रेड क्रॉस में सर्वश्रेष्ठ कैडेट का पुरस्कार जीता था।
"देविका की कहानी हमें सिखाती है कि इंसान अगर सफल होना चाहे तो कोई भी अक्षमता उसके आड़े नहीं आती, वो सभी मुश्किलों को हराकर आगे बढ़ सकते हैं।"