Edited By Sonia Goswami,Updated: 05 Oct, 2018 09:30 AM
तमिलनाडु के विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार से कहा कि डूसू के अध्यक्ष अंकित बैसोया उनके छात्र नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए नकली दस्तावेज दिखाने के मामले के तूल पकड़ने के बाद तमिलनाडु के विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को यह जानकारी दी।
चेन्नई: तमिलनाडु के विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार से कहा कि डूसू के अध्यक्ष अंकित बैसोया उनके छात्र नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए नकली दस्तावेज दिखाने के मामले के तूल पकड़ने के बाद तमिलनाडु के विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को यह जानकारी दी।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वेल्लोर स्थित तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय ने तमिलनाडु उच्च शिक्षा विभाग को लिखा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता ने ना ही इस विश्वविद्यालय या इसके किसी भी घटक या संबद्ध कॉलेज में दाखिला नहीं लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘हां , उन्होंने यह लिखित में दिया है।’’ बैसोया ने हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था। एनएसयूआई द्वारा उनके नकली दस्तावेज देने का आरोप लगाने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ा।
यह था मामला
गौरतलब है कि एनएसयूआई की ओर से मांगी गई जानकारी पर तिरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी ने बताया था कि बसोया की ओर से सौंपा गया बी.ए का प्रमाण-पत्र ‘फर्जी’ है। एनएसयूआई ने कहा कि एम.ए (बौद्ध अध्ययन) में दाखिले के लिए बसोया की ओर से एक मार्कशीट पेश की गई थी, लेकिन तिरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी ने ऐसे किसी नाम के छात्र को दाखिला देने की बात से इनकार कर दिया था। यूनिवर्सिटी ने कहा था कि उस सीरियल नंबर की मार्कशीट उनके रिकॉर्ड में नहीं है। एक बयान में एबीवीपी ने एनएसयूआई के आरोप को ‘दुष्प्रचार’ करार दिया। एबीवीपी ने कहा, ‘दस्तावेजों की उचित जांच-पड़ताल के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अंकिव बसोया को दाखिला दिया।
यह दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रक्रिया है। आज भी डीयू को यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत किसी भी छात्र के दस्तावेजों की जांच-पड़ताल का अधिकार है, लेकिन किसी व्यक्ति को प्रमाण-पत्र देना एनएसयूआई का काम नहीं है’। आरएसएस के छात्र संगठन ने कहा, ‘डीयू को न सिर्फ अंकिव बल्कि डूसू के सभी पदाधिकारियों के दस्तावेज की जांच का अधिकार है ताकि भविष्य में अफवाहों पर लगाम लग सके’। पिछले हफ्ते संपन्न हुए डूसू के चुनाव में एबीवीपी को अध्यक्ष सहित तीन पदों पर जीत मिली थी जबकि एनएसयूआई ने सचिव पद पर जीत हासिल की थी।