Edited By Sonia Goswami,Updated: 12 Jan, 2019 10:02 AM
दिल्ली यूनिवर्सिटी इस बार अपने अंडरग्रैजुएट कोर्सेज में कटऑफ लिस्ट की संख्या कम करने पर विचार करेगा।
नई दिल्लीः दिल्ली यूनिवर्सिटी इस बार अपने अंडरग्रैजुएट कोर्सेज में कटऑफ लिस्ट की संख्या कम करने पर विचार करेगा। डीयू अपने सभी कॉलेजों की सीटें भरने के लिए कई कटऑफ लिस्ट निकालता है। इसकी वजह से एडमिशन प्रोसेस सितंबर तक जारी रहता है, जबकि क्लासेज 20 जुलाई से शुरू हो जाती हैं। डीयू अधिकरियों का कहना है कि इससे स्टूडेंट्स के अलावा यूनिवर्सिटी और कॉलेज प्रशासन को भी परेशानी होती है। इसकी सबसे बड़ी वजह एक कॉलेज में एडमिशन का कैंसलेशन और दूसरे कॉलेज में एडमिशन है।
अधिकारियों का कहना है कि अभी यूनिवर्सिटी अंडरग्रैजुएट कोर्सों के लिए 8 से 10 लिस्ट जारी करती है। इतनी सारी लिस्ट की वजह है कॉलेजों के ऑप्शन। स्टूडेंट को छूट है कि वो एक कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद अगली लिस्ट में पसंदीदा कॉलेज की कटऑफ मार्क्स मैच करने पर अपना ऐडमिशन कैंसल कर उसमें एडमिशन ले ले। इसके बाद भी आगे की लिस्ट जारी होने पर दूसरे कॉलेज में ऐडमिशन ले सकता है। एक सीनियर अधिकारी कहते हैं, यह 3 स्टेप प्रोसेस है– पहले एडमिशन, फिर कैंसलेशन और उसके बाद फिर से ऐडमिशन। इसमें एडमिशन प्रोसेस बहुत खींचता है। हमें स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मिले हैं कि एडमिशन लेने के नंबर पर पाबंदी लगनी चाहिए, ताकि सिर्फ हाई स्कोरर्स की ही पसंद नहीं बनी रहे, बल्कि कुछ नीचे वाले स्टूडेंट्स को भी मौका मिले। इससे कटऑफ की संख्या भी कम होगी, साथ ही ऐडमिशन प्रोसेस भी वक्त पर खत्म हो पाएगा।
इसके अलावा यूनिवर्सिटी पिछले तीन सेशन से जो रिजर्व्ड कैटिगरी की सीटें भरने के लिए स्पेशल ड्राइव चलाता है, उसे भी अगस्त-सितंबर की बजाय तीन कटऑफ के बाद ही रखने पर भी विचार किया जाएगा। एडमिशन कमिटी जल्द ही बनेगी और अगले हफ्ते इसकी पहली मीटिंग भी हो सकती है। डीयू के डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ राजीव गुप्ता का कहना है कि हमें स्टेकहोल्डर्स से एक्स्ट्रा करिकुलर ऐक्टिविटीज के शेड्यूल के बारे में सुझाव दिया गया है कि ट्रायल्स का शेड्यूल पहले ही तय होना चाहिए। ताकि दिल्ली से बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स और उनके पैरंट्स अपना प्लान फिक्स कर सकें।