Edited By Sonia Goswami,Updated: 27 Jul, 2018 11:37 AM
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह देश के प्रख्यात भूगोलविद् हैं। सिविल सेवा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर इन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है।
पटनाः पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह देश के प्रख्यात भूगोलविद् हैं। सिविल सेवा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर इन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है। बांका के सुदूर गांव से 1967 में पटना पहुंचे और इंटर की शिक्षा के लिए पटना कॉलेज में नामांकन लिया। पांच दशक से पटना विश्वविद्यालय से छात्र, शिक्षक, प्रॉक्टर और कुलपति के रूप में जुड़े हैं।
प्रो. सिंह कहते हैं, सूबे के पास मानव संसाधन प्रचुर संख्या में उपलब्ध है। इसका सदुपयोग कर राज्य को उसके स्वर्णिम युग में लौटाया जा सकता है। इसमें सबसे अहम भूमिका शिक्षा की है। किसी देश का स्वर्ण काल तभी रहा है, जब वहां की शिक्षा-व्यवस्था सर्वोत्तम रही है। मगध का प्रताप पूरे विश्व में तभी था, जब यहां नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे। पिछले एक दशक में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काफी विकास हुआ हैं।
विश्वविद्यालय में सत्र को नियमित करने के लिए कई योजनाओं पर एक साथ काम किया जा रहा है। तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना अनूठी पहल है। सुनहरे दौर के लिए हमें अपने कंधे मजबूत करने होंगे। सरकार और समय को कोसने से बात नहीं बनेगी। सूबे को पुराना गौरव लौटाने के लिए हम सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी उठानी होगी।
स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
सूबे में अब कुछ ही बच्चे स्कूल से बाहर बचे हैं। अब सुदूर गांव में भी प्रारंभिक और माध्यमिक स्कूल हैं। इनमें बच्चे भी पहुंच रहे हैं, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा यहां की सबसे बड़ी चुनौती है। इसे दूर करने के लिए पर्याप्त संख्या में शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। शिक्षकों के साथ-साथ सोसाइटी को भी इसमें भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
लक्ष्य आधारित हो उच्च शिक्षा
बच्चों पर कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के साथ ही रोजगार प्राप्त करने का दबाव होता है। आगामी दशक में स्थिति और विकराल होने वाली है। इसके लिए विश्वविद्यालयों में लक्ष्य आधारित शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी।
10वीं बाद हो काऊंसिलिंग की व्यवस्था
बच्चों को उनके पंसदीदा क्षेत्र में करियर के लिए 10वीं से ही काऊंसिलिंग की व्यवस्था हो। मैट्रिक पास करने से पहले विद्यार्थी की रुचि शिक्षक और अभिभावक को मिल जाए। बच्चों को उनकी रुचि वाले क्षेत्र में करियर बनाने में सहूलियत होगी। स्पोर्ट्स के लिए प्राथमिक के बाद ही बच्चों का चयन किया जाए। शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई के बराबर ही स्पोर्ट्स को भी प्राथमिकता मिले।
मुख्यमंत्री सात निश्चय के तहत इच्छुक बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए सुनिश्चित शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। इससे गरीब घरों के बच्चे भी उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित हो रहे हैं। ऋण की अदायगी पढ़ाई पूरी करने और रोजगार मिलने पर चुकता करने की व्यवस्था छात्रों के अच्छे करियर के लिहाज से बेहतर होगी।
- प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह, कुलपति, पटना विश्वविद्यालय