Edited By Sonia Goswami,Updated: 11 Sep, 2018 12:02 PM
अगर बच्चा स्कूल में अच्छे नंबर नहीं ला पा रहा है तो मुमकिन है कि उसके साथ अनुवांशिक रूप से समस्या हो। स्कूल में बच्चों का 70% तक प्रदर्शन उनके जीन से ही तय हो जाता है, जो उन्हें माता-पिता से मिले होते हैं। बाकी 30% प्रदर्शन उनकी मेहनत और आस-पास के...
लंदनः अगर बच्चा स्कूल में अच्छे नंबर नहीं ला पा रहा है तो मुमकिन है कि उसके साथ अनुवांशिक रूप से समस्या हो। स्कूल में बच्चों का 70% तक प्रदर्शन उनके जीन से ही तय हो जाता है, जो उन्हें माता-पिता से मिले होते हैं। बाकी 30% प्रदर्शन उनकी मेहनत और आस-पास के लोगों से तय होता है। ये नतीजा लंदन के किंग्स कॉलेज के हालिया अध्ययन से निकला है। किंग्स कॉलेज के शोध का असल विषय था- जुड़वा बच्चों का स्कूल में प्रदर्शन। इसके लिए उन्होंने जुड़वा बच्चों के करीब 6 हजार जोड़ों को बुलाया, यानी करीब 12 हजार बच्चे। लेकिन इसी अध्ययन के दौरान उन्हें बच्चों के स्कूल में प्रदर्शन का उनके जीन से भी संबंध मिल गया।
इसके आधार पर साथ-साथ ही नया अध्ययन भी शुरू किया गया। इससे नतीजा निकला कि- प्राइमरी स्तर से लेकर कॉलेज स्तर तक बच्चे की स्किल बनती-बिगड़ती रहती है और ये प्रक्रिया जीन्स से तय होती है। इसी का असर बच्चे के मार्क्स पर भी दिखता है। यहां पर जीन्स के असर का मतलब इस बात से नहीं है कि माता-पिता कितने पढ़े-लिखे हैं, बल्कि उनकी स्किल से है।
माता-पिता कम पढ़े-लिखे लेकिन बेहतर स्किल वाले हों तो भी मुमकिन है कि बच्चा स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करे। जीन और बच्चे के प्रदर्शन के बीच संबंध के अध्ययन को रिसर्चर ने जेनोम वाइड एसोसिएशन स्टडी का नाम दिया। इस स्टडी से ये भी पता चला कि बच्चे के प्रदर्शन पर जीन का असर समय के साथ-साथ बढ़ता भी जाता है। प्राइमरी लेवल तक ये असर 4 से 10% तक रहता है। मिडिल स्कूल के स्तर तक बढ़कर 30 से 40% और कॉलेज तक बढ़ते-बढ़ते 70% तक हो जाता है। अध्ययन में इसे पॉलीजेनिक स्कोर का नाम दिया गया।