Edited By Sonia Goswami,Updated: 27 Nov, 2018 04:03 PM
हाल में प्रकाशित एक सर्वे के अनुसार, ट्यूशन और कोचिंग पर स्टूडेंट्स की निर्भरता बढ़ती जा रही है। सक्षम होते हुए बहुत कम माता-पिता अपने बच्चों को खुद से पढ़ाने के लिए समय निकाल पाते हैं। दरअसल, उन्हें लगता है कि जब ट्यूशन और कोचिंग की सुविधा उपलब्ध है,...
नई दिल्लीः हाल में प्रकाशित एक सर्वे के अनुसार, ट्यूशन और कोचिंग पर स्टूडेंट्स की निर्भरता बढ़ती जा रही है। सक्षम होते हुए बहुत कम माता-पिता अपने बच्चों को खुद से पढ़ाने के लिए समय निकाल पाते हैं। दरअसल, उन्हें लगता है कि जब ट्यूशन और कोचिंग की सुविधा उपलब्ध है, तो वे खुद पढ़ाने की सरदर्दी क्यों लें।
हालांकि ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं और उसे अच्छी कोचिंग-शिक्षा दिलाने के लिए अधिक से अधिक पैसे कमाने का भी हर जतन करते हैं। इसके बावजूद अक्सर देखा जाता है कि नामी ट्यूटर से या कोचिंग में पढ़वाने के बावजूद उनके बच्चे को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पाती।
आइएएस अभ्यर्थियों की बढ़ती संख्या
अब से करीब 12-15 साल पहले तक सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या अधिक से अधिक ढाई-तीन लाख तक होती थी। पिछले करीब आठ-दस वर्षों में आवेदकों की संख्या में करीब चार से पांच गुना तक का इजाफा देखा गया है यानी आवेदकों की यह संख्या बढ़ते-बढ़ते करीब 12 से 13 लाख के बीच पहुंच गई है।
तीसरा, वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद आइएएस, अध्यापक से लेकर केंद्र और राज्य सरकार की तमाम नौकरियों के पैकेज भी अपेक्षाकृत आकर्षक हो गए हैं। इसके अलावा, कॉरपोरेट सेक्टर की नौकरियों में पैसे भले ही मिल रहे हों, लेकिन वहां की मशीनी एकरस नौकरी से जल्द ही ज्यादातर युवाओं का मन ऊब जाता है।
सेल्फ-स्टडी है ब्रह्मास्त्र
तमाम कोचिंग संस्थान भले ही यह दावा करते हों कि सिविल सेवा परीक्षा या किसी अन्य परीक्षा में टॉप करने वाला कैंडिडेट उन्हीं का छात्र रहा है, पर यह आधा-अधूरा सच होता है। टॉपर्स या फिर ज्यादातर कामयाब होने वाले अभ्यर्थी भले ही अपनी किसी एक कमी या कमजोरी को दूर करने के लिए कोचिंग की मदद लेते हों, पर अधिकतर अपने बलबूते ही कामयाबी की छलांग लगाते हैं। वह शुरू से ही कोचिंग का सहारा लेने की शायद कभी नहीं सोचते। ऐसे अभ्यर्थी पहले अपनी क्षमता-सामथ्र्य को आंकते हुए उसके मुताबिक लक्ष्य तय करते हैं और फिर उसके अनुसार समुचित रणनीति बनाते हुए मेहनत-लगन और ट्रिक के साथ कदम बढ़ाते हैं।