शिक्षा मंत्री के फार्मूले से प्रतिवर्ष 2 हजार स्कूल होंगे टिप टॉप, स्टेट ऑफ द आर्ट स्कूल भी बनेंगे

Edited By Sonia Goswami,Updated: 20 Dec, 2018 10:42 AM

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शिक्षा मंत्री ओम प्रकाश सोनी का प्रयास अगर कामयाब रहा तो आने वाले दिनों में राज्य के सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदली हुई नजर आएगी यानी स्कूल टिप टॉप दिखाई देंगे।

लुधियाना(विक्की): शिक्षा मंत्री ओम प्रकाश सोनी का प्रयास अगर कामयाब रहा तो आने वाले दिनों में राज्य के सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदली हुई नजर आएगी यानी स्कूल टिप टॉप दिखाई देंगे। दरअसल सरकारी स्कूलों की खस्ताहाल इमारतों की शक्ल बदलने के अलावा उनमें मुरम्मत के कार्यों को करवाने हेतु ओ.पी. सोनी ने एक नई पहलकदमी की है। शिक्षा मंत्री ने पहले चरण में राज्य के सभी हलकों के विधायकों से उनके क्षेत्र में पड़ते ऐसे 10 स्कूलों की लिस्टें मांगी हैं, जिनकी बिल्डिंगें या तो खस्ता हालत में हैं या फिर उनमें किसी मुरम्मत की जरूरत है। 

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यही नहीं श्री सोनी ने विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र के एक ऐसे स्कूल का चयन करके नाम भेजने को कहा है, जिसे सुविधाओं से लैस करके स्टेट ऑफ द आर्ट स्कूल बनाया जा सके। हर विधायक को बाकायदा उनके नाम के साथ लिखे पत्रों में उक्त सूचना आगामी 10 दिनों के अंदर भेजने को कहा गया है। सोनी ने विधायकों को उक्त स्कूलों का चयन करने के लिए निजी तौर पर स्कूलों की विजीट करने की सलाह भी दी है। 

 

लुधियाना के 998 में से 324 स्कूल स्मार्ट बनने को ओर अग्रस
बता दें कि राज्य में सत्ता संभाल रही कांग्रेस सरकार ने स्कूली शिक्षा को ग्रास रूट से मजबूत करने हेतु स्कूलों में सुविधाएं देने के अलावा नए प्रोजैक्ट भी शुरू किए हैं। हालांकि सुविधाओं को पूरा होने में सिस्टम की प्रक्रिया लंबी होने के चलते कुछ समय लग तो रहा है, लेकिन सरकार ने सरकारी स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू करने के अलावा स्मार्ट स्कूल बनाने की जो मुहिम शुरू की है, उसमें गांवों में दानी सज्जनों की ओर से भी अपने गांव के स्कूल को सुंदर बनता देख वित्तीय सहायता भी दान के रूप में प्रदान की जाने लगी है। बात अगर लुधियाना की करें तो आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक यहां के 998 में से 324 सरकारी प्राइमरी स्कूल विभिन्न सुविधाओं के साथ स्मार्ट बनने की ओर अग्रसर हैं। 

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सी.एस.आर. एक्टीविटी से भी सुधरी है दशा
हालांकि दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए तो कई प्रमुख उद्योगपतियों ने सी.एस.आर. एक्टीविटी के तहत स्कूलों की नुहार बदलने में अपनी भूमिका निभाई है। इस शृंखला में जिन स्कूलों में पहले डैस्कों व कमरों की कमी थी उनमें से कइयों में इस कमी को विभागीय प्रयासों के चलते उद्योगपतियों की मदद से दूर कर लिया गया है। 


पंजाब में 19,000 सरकारी स्कूल, जिनमें  6 हजार अपर प्राइमरी व 13,000 प्राइमरी
अब बात अगर राज्य के सरकारी स्कूलों की संख्या की करें तो पंजाब में करीब 19,000 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 6000 अपर प्राइमरी, जबकि 13,000 के करीब स्कूल प्राइमरी स्तर के हैं। शिक्षा मंत्री सोनी की योजना पर नजर दौड़ाएं तो जिस हिसाब से उन्होंने 117 हलकों के खस्ताहाल 10 स्कूलों के नाम मांगे हैं तो पहले चरण में 1170 सरकारी स्कूलों की नुहार बदलने का काम सरकार से फंड जारी होने के बाद शुरू हो जाने की संभावना है।  बताया जा रहा है कि सोनी ने लोगों में सरकारी स्कूलों के प्रति खोया विश्वास वापस लाने को अपने ड्रीम प्रोजैक्ट में शामिल किया है, जिसके चलते खस्ताहाल स्कूलों की इमारतों को दुरुस्त करने के अलावा उनमें सुविधाएं और अध्यापकों की कमी को पूरा करना उनकी प्राथमिकता में शामिल है। 

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राज्य के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को बुनियादी सुविधाएं देना ही पंजाब की कांग्रेस सरकार का मुख्य एजंैडा है। स्कूलों में शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए मैं प्रयत्नशील हूं और साथ ही सुविधाएं देना भी मेरी प्राथमिकता है। प्रतिवर्ष 2000 सरकारी स्कूलों की पहचान करके उनमें होने वाले जरूरी कार्य मुकम्मल करवाए जाएंगे। 31 मार्च तक सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए सरकार 100 करोड़ रुपए खर्च करेगी, जबकि स्मार्ट स्कूल बनाने के लिए प्रतिवर्ष स्कूलों को 20 करोड़ रुपए जारी किए जाएंगे और स्कूलों की हर कमी पूरी होगी। 
-ओम प्रकाश सोनी,  शिक्षा मंत्री पंजाब।

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