शिक्षण संस्थानों में चरित्र निर्माण पर हो जोर : वेंकैया

Edited By pooja,Updated: 28 Jan, 2019 10:32 AM

emphasis on character creation in educational institutions venkaiah

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शिक्षा प्रणाली की समीक्षा करके उसमें देश के इतिहास, परंपरा और आदर्शों तथा चरित्र निर्माण को ज्यादा स्थान देने की वकालत की है।

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शिक्षा प्रणाली की समीक्षा करके उसमें देश के इतिहास, परंपरा और आदर्शों तथा चरित्र निर्माण को ज्यादा स्थान देने की वकालत की है। 

 

 नायडू ने यहाँ पन्नालाल गिरधारीलाल दयानंद एंग्लो-वेदिक (पीजीडीएवी) कॉलेज के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि शिक्षण संस्थानों को शिक्षा एवं ज्ञान का मंदिन होना चाहिये। उन्होंने छात्रों से कहा ‘‘मैं आपसे दुनियादारी में प्रवेश से पहले ज्ञान, आदर्शों और आचार से लैस होने की अपील करता हूँ। शैक्षणिक संस्थानों को शिक्षा और ज्ञान का मंदिर होना चाहिये जिसकी पवित्रता की हमेशा रक्षा की जानी चाहिये। उन्हें शांति और सौहाद्र्र तथा विकास की शरण स्थली होनी चाहिये।’’ उन्होंने चरित्र निर्माण पर जोर देते हुये कहा कि यह शिक्षा का अनिर्वाय धर्म है। उन्होंने कहा ‘‘चरित्र निर्माण के लिए छात्रों की कक्षा की चाहरदीवारी के बाहर झाँकने की जरूरत है। छात्रों का सिर्फ आधा समय ही कक्षा में बीतना चाहिये। शेष समय उन्हें कक्षा से बाहर निकलकर समाज की सेवा करनी चाहिये।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा,‘‘ युवाओं के पास हमेशा देश की समस्याओं और मसलों के सबसे रचनात्मक समाधान होते हैं। मेरा ²ढ़ विश्वास है कि उन्हें अपनी राय बनाने और असंभव के लिए भी प्रयास करने में सक्षम होना चाहिये। मैं आपको रचनात्मक रूप से अनजान को जानने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ, लेकिन किसी भी परिस्थिति में आपको विध्वंस का कारण नहीं बनाना है। ’’

 

उन्होंने छात्रों को भविष्य का नेता, नीति निर्माता और कानून निर्माता बताते हुये उनसे लोकतांत्रिक मूल्यों को आत्मसात् करने की अपील की। आधुनिक जीवन-शैली जनित बीमारियों से बचने और निरोग रहने के लिए उन्होंने छात्रों को कसरत तथा योग करने की सलाह दी तथा अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों से बचने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की प्रगति के लिए लोगों का स्वस्थ होना जरूरी है।  नायडू ने प्रौद्योगिकी तथा सोशल मीडिया के खतरों से आगाह करते हुये कहा ‘‘हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहाँ प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया छाया हुआ है। आज की दुनिया में निरंतर जुड़े रहना आवश्यक हो गया है और इसके कारण बच्चों तथा किशोरों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा हे। इसके बुरे परिणामों में ‘साइबर बुङ्क्षलग’ से लेकर डाटा की चोरी और वित्तीय घोटाले तक शामिल हैं।’’

युवाओं से एक सीमित समय ही स्मार्टफोन, कंप्यूटर आदि के स्क्रीन के सामने गुजारने की अपील करते हुये उन्होंने कहा,‘‘ प्रौद्योगिकी तभी लाभकारी हो सकती है जब हम बुद्धिमानी, समझदारी तथा सावधानी के साथ उसका इस्तेमाल करें। ’’ कार्यक्रम में कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल तथा पीजीडीएवी कॉलेज संचालन मंडल के अध्यक्ष टी.एन. चतुर्वेदी, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश त्यागी, कॉलेज के प्राध्यापकों तथा छात्रों ने हिस्सा लिया।  

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