इंजीनियरिंग में घट रही है स्टूडेंट्स की रुचि, 80 हजार सीटें होगी कम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Apr, 2018 05:19 PM

engineering is falling in interest 80 thousand seats will be reduced

आज से कुछ समय पहले ज्यादातर लोग चाहते थे कि उनका बच्चा पढ़ लिख कर इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन अब करियर...

नई दिल्ली: आज से कुछ समय पहले ज्यादातर लोग चाहते थे कि उनका बच्चा पढ़ लिख कर इंजीनियर बनाना चाहते थे, लेकिन अब करियर के बढ़ते विकल्पों के कारण इस संख्या में काफी कमी आई है। गौरतलब है कि 2012-13 सत्र से इंजिनियरिंग एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या में तकरीबन 1.86 लाख की कमी आई है, इस गिरते आंकड़े के कारण ही कई कॉलेज बंद होने की कगार पर आ गए हैं। AICTE (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) के अनुसार, लगभग 200 इंजिनियरिंग कॉलेजों ने बंद करने की अनुमति मांगते हुए आवेदन दिए हैं। ये  कॉलेज अब छात्रों के एडमिशन तो नहीं करेंगे लेकिन मौजूदा बैच का कोर्स पूरा होने तक सक्रिय रहेंगे।  एआईसीटीई के चेयरपर्सन अनिल साहस्रबुद्धे ने बताया, 'मौजूदा बैच के ग्रैजुएट होने तक ये कॉलेज चलते रहेंगे। लेकिन इस साल से छात्रों को दाखिला नहीं देंगे। यानी अब से तीन-चार साल बाद ये इंजिनियरिंग कॉलेज बंद हो जाएंगे। इन कॉलेजों के बंद होने से इंजिनियरिंग की सीटों में भी गिरावट आएगी। इस साल तकरीबन 80,000 सीटों की कटौती का अनुमान लगाया जा रहा है। 2018-19 समेत 4 सालों के अंदर इंजिनियरिंग कॉलेजों में करीब 3.1 लाख सीटें कम हो जाएंगी।

2016 से हर साल इंजिनियरिंग में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या कम हो रही है। एआईसीटीई के मुताबिक, हर साल करीब 75,000 छात्र कम हो रहे हैं। 2016-17 में अंडरग्रैजुएट लेवल पर दाखिले की क्षमता 15,71,220 थी जबकि दाखिले हुए 7,87,127 यानी दाखिले में 50 फीसदी गिरावट आई। 2015-16 में कुल प्रवेश क्षमता 16,47,155 थी जबकि दाखिला 8,60,357 हुआ यानी 52 फीसदी गिरावट। 

जहां इन कॉलेजों में दाखिला कम हुआ है, वहीं अग्रणी संस्थानों जैसे इंडियन इंस्टिट्यूट्स ऑफ टेक्नॉलजी या नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एनआईटी) में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। एक वरिष्ठ एचआरडी अधिकारी ने बताया कि जो कॉलेज बंद होने वाले हैं, उनको ज्यादातर छात्र पसंद नहीं करते हैं। वे इन कॉलेजों को घटिया समझते हैं। यही कारण है कि आईआईटीज और एनआईटीज में दाखिला बढ़ रहा है।  एआईसीटीई ने अब यह फैसला भी किया है कि टेक्निकल इंस्टिट्यूशंस को 2022 तक अपने कम से कम 50 फीसदी प्रोग्रामों के लिए नैशनल बोर्ड ऑफ ऐक्रेडिटेशन (एनबीए) से मान्यता लेनी होगी। मौजूदा समय की बात करें तो भारत में करीब 10 फीसदी कोर्सों के लिए ही मान्यता ली जाती है। 

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