Edited By Sonia Goswami,Updated: 18 Jul, 2018 05:05 PM
अगर आप भी नौकरीपेशा हैं तो ईपीएफ यानी एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड के जरिए भविष्य के लिए रुपए सुरक्षित रख सकते हैं।
अगर आप भी नौकरीपेशा हैं तो ईपीएफ यानी एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड के जरिए भविष्य के लिए रुपए सुरक्षित रख सकते हैं। नौकरी छोड़ने के एक महीने बाद ही आप 75 फीसदी रुपए निकाल सकते हैं जबकि अगले 2 महीने बाद बचा हुआ 25 फीसदी हिस्सा भी निकाल सकते हैं। आगे की स्लाइड में बताने जा रहे हैं कि आखिर ईपीएफ कितना जरूरी है और आवश्यकता पड़ने पर पैसे निकालने की क्या प्रक्रिया है।
क्या है ईपीएफ?
कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय में उन सभी कार्यालयों और कंपनियों को रजिस्टर करना आवश्यक है जहां पर 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी में काम करता है तो उसकी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा काटा जाता है और इतना ही पैसा कंपनी अपनी तरफ से देती है। व्यक्ति की सैलरी का 12 फीसदी ईपीएफ में जमा होता है जबकि कंपनी के हिस्से का केवल 3.67 फीसदी ही इसमें जमा होता है बाकि 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में जमा होता है।
12 फीसदी से ज्यादा हिस्सा भी दे सकते हैं
कर्मचारी अगर चाहे तो अपनी बेसिक सैलरी से 12 फीसदी से भी ज्यादा रकम कटवा सकते हैं हालांकि कंपनी अपनी ओर से 12 फीसदी ही हिस्सा देगी। इसे वॉलियंटरी प्रॉविडेंट फंड कहते हैं। इस पर भी टैक्स में छूट मिलता है।
नॉमिनेशन की सुविधा
ईपीएफ के लिए भी आप नॉमिनेशन दे सकते हैं। कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में नॉमिनी को पीएफ का पैसा दे दिया जाएगा। आप चाहें तो अपने ईपीएफ अकाउंट के लिए नॉमिनी चेंज भी कर सकते हैं।
क्या पेंशन भी मिलती है?
पीएफ में कंपनी का योगदान 12 फीसदी होता है इसमें से 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन स्कीम में चला जाता है। पेंशन 58 साल की उम्र के बाद ही मिलती है। साथ ही नौकरी के 10 साल लगातार पूरा करना अनिवार्य है। न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए है जबकि अधिकतम पेंशन 3250 रुपए हर महीने है। पेंशन ईपीएफ खाताधारक को आजीवन और उसकी मृत्यु पर आश्रित को दी जाती है।
एडवांस ले सकते हैं
नौकरी करते वक्त आप ईपीएफ का पैसा नहीं निकाल सकते लेकिन बहुत जरूरी होने पर कुछ राशि निकाली जा सकती है। परिवार (पति/पत्नी, बच्चे, माता-पिता) के इलाज के लिए सैलरी की 6 गुना रकम निकाली जा सकती है। बच्चों या भाई-बहन की शादी या एजुकेशन के लिए पूरी रकम का 50 फीसदी निकाल सकते हैं और ऐसा नौकरी के दौरान आप केवल 3 बार ही कर सकते हैं। होमलोन चुकाने के लिए सैलरी का 36 गुना तक निकाल सकते हैं जबकि घर की मुरम्मत के लिए सैलरी का 12 गुना तक निकाल सकते हैं लेकिन ऐसा केवल एक बार ही कर सकते हैं।
ईपीएफ के लिए कर सकते हैं मना
अगर आपकी सैलरी 15 हजार रुपए से ज्यादा है तो आप पीएफ में निवेश करने से मना कर सकते हैं। इसके लिए आपको नौकरी शुरू करने से पहले पीएफ फंड से बाहर रहने का विकल्प चुनना होगा। इसके लिए आपको फॉर्म नंबर 11 भरना पड़ेगा।