Edited By bharti,Updated: 31 May, 2019 04:42 PM
उच्चतम न्यायालय ने स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रमों में शैक्षणिक वर्ष 2019 -20 के दाखिले में सभी वर्गों के आर्थिक...
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रमों में शैक्षणिक वर्ष 2019 -20 के दाखिले में सभी वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों के लिए 10फीसदी आरक्षण की महाराष्ट्र सरकार की अधिसूचना पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि प्रक्रिया के जारी रहने के दौरान नियमों को नहीं बदला जा सकता है। शीर्ष न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया कि महाराष्ट्र में 2019 -20के लिए पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए दाखिला प्रक्रिया 103 वें संविधान संशोधन और इसके बाद राज्य की अधिसूचना के जरिए 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण के क्रियान्वयन से काफी पहले शुरू हो गई थी।
न्यायालय ने कहा कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) द्वारा अतिरिक्त सीटें सृजित किए जाने तक10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण अन्य लोगों की कीमत पर नहीं दिया जा सकता। पीठ ने कहा कि उसके निर्देश अंतरिम प्रकृति के हैं और याचिका पर आखिरी फैसला किए जाने तक लागू रहेंगे। यह याचिका सामान्य श्रेणी के तीन छात्रों ने दायर की थी। पीठ ने कहा, 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा जारी दाखिला प्रक्रिया के लिए नहीं दिया जा सकता। जब प्रक्रिया जारी है तब आप इसके नियमों को नहीं बदल सकते।'' न्यायालय ने कहा कि मराठा आरक्षण पर इसी तरह के मामले में बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील भी शीर्ष न्यायालय ने खारिज कर दिया है।