केंद्रीय विद्यालयों में 5वीं और 8वीं की परीक्षा में फेल नहीं करने का नियम खत्म

Edited By bharti,Updated: 31 Mar, 2019 04:15 PM

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देश के 1202 केन्द्रीय विद्यालयों में पढ़ रहे कक्षा पांच और आठ के उन छात्रों के लिए बुरी खबर है जो केवल मौज करते हैं...

नई दिल्ली (अनिल श्रीवास्तव): देश के 1202 केन्द्रीय विद्यालयों में पढ़ रहे कक्षा पांच और आठ के उन छात्रों के लिए बुरी खबर है जो केवल मौज करते हैं और पढ़ाई से दूर भागते हैं। अब ऐसे छात्रों को नए सत्र से पांचवीं और आठवीं में फेल भी किया जा सकता है।  दोबारा निचले क्लास में ही उनको रहना होगा। लेकिन, ऐसे छात्रों को स्कूल से बाहर नहीं निकाला जाएगा। यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में पास कर दिया गया है। इस नियम को अगले सत्र से लागू किया जाएगा। यह कदम दसवीं के रिजल्ट को सुधारने के लिए उठाया गया है। इसको लागू करने के लिए 25 राज्यों ने हामी भी भरी है।
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अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पहले केन्द्रीय विद्यालय के पांचवीं व आठवीं क्लास के बच्चों को फेल न करने का निर्देश था। इसका परिणाम यह देखने में आता रहा कि बच्चे पढ़ाई पर जोर नहीं देते थे। नतीजा यह होता था कि छात्रों की क्लास में उपस्थिति भी बहुत कम रहती थी। अभी तक कोई छात्र बहुत ही कम नंबर लाता था तब भी उसे किसी तरह नंबर बढ़ाकर पास किया जाता था। परिणाम स्वरूप दसवीं क्लास का रिजल्ट खराब होने लगा था और स्कूलों की बदनामी होने लगी। साथ ही जिस स्कूल के दसवीं का रिजल्ट खराब आता था उस स्कूल के प्राचार्यों और अध्यापकों को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ एक्शन होने लगा था। इधर, पांचवीं और आठवीं के छात्रों को यह मालूम था कि जो भी लिखेंगे उन्हें पास तो होना ही है। इससे वे पढ़ाई भी मेहनत से नहीं करते थे। इस आदेश के तहत फेल छात्रों को भी पास करना स्कूलों की मजबूरी थी। परिणाम यह होता था कि ऐसे छात्र दसवीं में बोर्ड परीक्षा में जाकर फेल हो जाते थे। 
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राज्यों के बोर्डों पर भी होगा लागू
इस बाबत मानव संसाधन विभाग के खास सूत्र ने बताया, यह नियम केंद्रीय विद्यालयों पर लागू तो होगा ही। साथ ही यह नियम राज्य सरकारों के एजुकेशन बोर्डों पर भी लागू होगा। इसके लिए देशभर के 25 राज्यों ने अपनी सहमति भी दे दी है। मसलन हर विद्यालय में इसको शुरू किया जाएगा।  
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शिकायतों को देखते हुए लिया निर्णय
नियम की शिकायत स्कूलों के प्राचार्य लगातार केन्द्र सरकार से करते रहे। सूत्र बताते हैं जब ऐसी शिकायतों का अंबार लगने लगा तो फिर इस नियम को बदलने का निर्णय लिया गया। काफी मंथन के बाद केन्द्र सरकार ने इस नियम को बदलने के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) बिल- 2017 लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया गया जो वहां से पास भी हो गया। केन्द्र सरकार ने भी माना कि इससे बच्चों का भविष्य सुधारने में मद्द मिलेगी। इसलिए उनको संवारने की जरूरत है। उनको एक चांस देने का भी निर्णय लिया गया। सूत्र ने बताया, जो छात्र फेल होंगे उनकी एक माह बाद फिर परीक्षा ली जाएगी। इसमें पास हो गए तो पास और फेल हुए तो फेेल।

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