‘हिंदी का भविष्य केवल एक बोली के रूप में’

Edited By pooja,Updated: 10 Dec, 2018 11:42 AM

future of hindi as a single quote

ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की अन्तराष्ट्रीय परीक्षाओं की भाषा-सलाहकार व परीक्षक और विदेशों में हिंदी भाषा के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली लेखिका डॉ

नई दिल्ली : ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की अन्तराष्ट्रीय परीक्षाओं की भाषा-सलाहकार व परीक्षक और विदेशों में हिंदी भाषा के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली लेखिका डॉ. कविता वाचक्नवी हिन्दी भाषा के भविष्य को लेकर चिन्तित हैं। उनका कहना है कि यदि यही स्थिति रही तो भविष्य में हिन्दी केवल एक बोली के रूप में ही सिमट कर रह जाएगी।     

भारतीय जीवन मूल्यों व विश्व हिन्दी भाषा लेखक संघ ‘‘विश्वम्भरा’’ की संस्थापक कविता गत दिनों भारत की यात्रा पर आईं। वह कहती हैं, ‘‘इस वहम में न रहें कि हिन्दी बची रहने वाली है। हिन्दी का भविष्य केवल एक बोली के रूप में है। भाषा के रूप में हिन्दी लगभग समाप्त की जा रही है।’’     

अमेरिका के ह्यूस्टन में रहने वाली कविता विदेशों में ङ्क्षहदी भाषा की स्थिति के बारे में पूछने पर बताती हैं कि जब भारत में ही किसी को हिन्दी की चिन्ता नहीं है तो यहाँ से जीविकोपार्जन के लिए विदेशों में गए लोगों के लिए हिन्दी केवल यदा-कदा घर में बोली जा सकने वाली बोली ही है।     

उन्होंने इस बात पर कड़ा आक्रोश जताया कि हिंदी को भारत में ही सबसे अधिक हानि पहुंचाई गई है, विशेषत: शिक्षा व विश्वविद्यालयी स्तर पर । भारतीय उच्चायोग, लन्दन द्वारा ब्रिटेन में सर्वोत्कृष्ट हिन्दी लेखन के लिए ‘डॉ. हरिवंश राय बच्चन लेखन सम्मान’ और उच्चायोग द्वारा ही हिन्दी पत्रकारिता में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान एवं‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’द्वारा हिंदी विदेश प्रसार सम्मान’(2013 हेतु) से सम्मानित कविता वाचक्नवी कहती हैं, ‘‘हिंदी के लिए संघर्ष करने की आज किसी को क्या पड़ी है । जो जीवनभर हिन्दी की रोटी खाते हैं, जीविकोपार्जन हिन्दी द्वारा करते हैं किन्तु फिर भी हिन्दी की‘सेवा’का दावा करते हैं, उन्हें लज्जा से डूब मरना चाहिए । यह सेवा कहला सकने का कार्य नहीं है क्योंकि बदले में भाषा ही ने आपको आपकी पहचान व जीवनयापन का मार्ग दिया है। ऊपर से अपनी माँ के लिए किए गए कार्य को‘सेवा’का प्रमाणपत्र दिया जाए, कमाल है !’’     

सोशल मीडिया के युग में ङ्क्षहदी के साहित्यिक लेखन सम्बन्धी प्रश्न के उत्तर में डॉ कविता कहती हैं, ‘‘सोशल मीडिया ने भारत में भी कुछ कैक्टस खड़े कर दिए हैं। कैक्टस रेगिस्तान में ही उगता है। धरती उर्वरा न रहने पर नागफणियाँ उगना स्वाभाविक है।  साहित्य के समक्ष चुनौतियों के बारे में उन्होंने बताया कि तकनीकी क्रांति के चलते साहित्य की चोरी भी बहुत हो रही है। तकनीक के अनुवाद वाले ‘टूल्का’ ने ‘मूल विचार’ की चोरी को आसान बना दिया है। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!