Edited By bharti,Updated: 15 Jan, 2019 06:19 PM
देश में स्वच्छता अभियान के चार साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी ग्रामीण स्कूलों में लड़कियों के लिए बने...
नई दिल्ली : देश में स्वच्छता अभियान के चार साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी ग्रामीण स्कूलों में लड़कियों के लिए बने शौचालयों में केवल 66.4 प्रतिशत जबकि लड़कों के 74 प्रतिशत इस्तेमाल के लायक हैं।शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत देश के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठन ‘प्रथम’ के वार्षिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार 11 प्रतिशत ग्रामीण स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय की अभी भी व्यस्था नही है। साढ़े दस प्रतिशत स्कूलों में शौचालय बंद पड़े हैं जबकि 11.7 प्रतिशत स्कूलों में ये इस्तेमाल लायक ही नही हैं। रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों की तुलना में लड़कों के लिए शौचालय अधिक बने हैं लेकिन लड़कों के शौचालयों की स्थिति लड़कियों के शौचालय से अधिक खराब है। लड़कों के 22़ 8 प्रतिशत शौचालय इस्तेमाल के लायक ही नही हैं। केवल तीन प्रतिशत स्कूलों में लड़कों के लिए शौचालय नहीं बने हैं।
लड़कियों के शौचालय की तरह लडकों के शौचालय बंद नहीं पड़े हैं। यह रिपोर्ट देश के 596 जिलों के सत्रह हजार सात सौ तीस गाँव के पांच लाख 46 हकाार 527 छात्रों के बीच किये गये सर्वेक्षण पर आधारित है रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों के शौचालयों में सबसे कम 15.4 प्रतिशत शौचालय केरल में हैं जबकि मेघालय में 15.9 प्रतिशत झारखण्ड में 28.2 प्रतिशत मणिपुर में 29. 9 प्रतिशत महारष्ट्र में 32.7 तथा मध्यप्रदेश में 34़ 9 प्रतिशत स्कूलों में ही शौचालय इस्तेमाल के लायक हैं। इसी तरह 13 .9 प्रतिशत स्कूलों में पीने का पानी अभी भी नही है और 11.3 प्रतिशत स्कूलों में पानी पीने लायक ही नहीं है।
इस तरह 74.8 प्रतिशत स्कूलों में ही पीने लायक पानी है। रिपोर्ट के अनुसाए 78. 7 प्रतिशत स्कूलों में अभी भी कंप्यूटर नही हैं और केवल 6. 5 प्रतिशत कंप्यूटर इस्तेमाल में हैं। इसके अलावा 25 .8 स्कूलों में पुस्तकालय नहीं हैं और 37 .3 प्रतिशत पुस्तकालयों की किताबें किसी ने पढ़ी ही नही है। रिपोर्ट के अनुसार केवल 5.8 प्रतिशत प्राथमिक स्कूल में फिजिकल एजुकेशन के शिक्षक हैं जबकि 30.8 प्रतिशत माध्यमिक स्कूलों में ये शिक्षिक हैं। बिहार ,ओडिशा, झारखण्ड तथा जम्मू-कश्मीर के एक चौथाई स्कूलों में खेल के मैदान नही हैं। इसी तरह 54 प्रतिशत स्कूलों में खेल के उपकरण उपलब्ध नही हैं।