मोदी ने स्थापित कराया था मुफ्त शिक्षा संस्थान,छात्राओं से वसूली लाखों की फीस

Edited By Sonia Goswami,Updated: 20 Feb, 2019 05:31 PM

government institute of gujarat receives millions of fees from girls

गुजरात में सरकार द्वारा लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान किए जाने के बावजूद यहां इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन में उच्च शिक्षा विभाग की गाइडलाइंस का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

अहमदाबादः गुजरात में सरकार द्वारा लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान किए जाने के बावजूद यहां इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन में उच्च शिक्षा विभाग की गाइडलाइंस का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। प्रदेश में महिलाओं की शिक्षा के लिए तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित कराए गए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन में नियमों के विरुद्ध स्टूडेंट्स से ट्यूशन फीस के नाम पर हर सेमेस्टर करीब 15 हजार रुपए की फीस लिए जाने का मामला सामने आया है। 

आरोप के मुताबिक, इंस्टिट्यूट की ओर से छात्राओं से ग्रैजुएशन कोर्स के चार साल में 1.20 लाख रुपए की ट्यूशन फीस ली जा रही है, जबकि सरकार के नियमों के अनुसार संस्थान में पढ़ रही फीमेल स्टूडेंट्स से ट्यूशन फीस लिए जाने का कोई प्रावधान नहीं हैं। कुछ लोगों का आरोप है कि संस्थान द्वारा वसूली गई फीस का गलत इस्तेमाल हो रहा है। 

कुछ स्टूडेंट्स की शिकायत पर इस मामले के सामने आने के बाद संस्थान में पढ़ रही छात्राओं और तमाम पूर्व विद्यार्थियों ने भी अपनी जमा की गई फीस को वापस मांगा है। साल 2010 में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी द्वारा इस संस्थान को अध्यापन की विश्व स्तरीय ट्रेनिंग के लिए यहां स्थापित कराया गया था। स्थापना के बाद से ही यहां पर स्नातक पाठ्यक्रमों का संचालन राज्य सरकार के सहयोग से होता है, जबकि पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स सेल्फ फाइनैंस मॉडल पर संचालित किए जाते हैं। 

विभाग की गाइडलाइन में हैं प्रावधान 
राज्य के शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार, प्रदेश सरकार की मदद से संचालित होने वाला कोई भी संस्थान हर साल छात्रों से अधिकतम 50 हजार रुपए की ट्यूशन फीस ले सकता है जबकि छात्राओं को इस फीस से छूट दी गई है। छात्राओं का कहना है कि उनसे ट्यूशन फीस के नाम पर अब तक करोड़ो रुपए वसूले जा चुके हैं, लेकिन फिर भी प्रशासन सब जानकर भी चुप है। छात्राओं का आरोप है कि कुलपति इस पैसे का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि सरकार केवल उस पैसे का ही ऑडिट कराती है जिसे ग्रांट के रूप में संस्थान को दिया जाता है। लेकिन उन पैसों का कोई हिसाब नहीं है जो कि छात्राओं से ट्यूशन फीस के नाम पर हर साल लिए जा रहे हैं। 

शिक्षामंत्री ने कही जांच कराने की बात 
इस मामले के सामने आने के बाद संस्थान के वाइस चांसलर प्रफेसर शशिरंजन यादव ने कहा है कि उनपर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। शशिरंजन यादव ने कहा है कि अगर उन्हें यह पता होता कि छात्राओं के फीस स्ट्रक्चर में ट्यूशन फीस का पैसा भी लिया जा रहा है तो वह इसे जरूर रोकते। वहीं पूरे मामले पर कार्रवाई के फैसले पर उन्होंने कहा कि वह सरकार के सक्षम स्तर पर इस संबंध में बातचीत के बाद ही इसपर कोई निर्णय लेंगे। दूसरी ओर राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूडास्मा और प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा अंजू शर्मा ने मामले के सामने आने के बाद अब इसकी जांच कराने की बात कही है। 

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