Edited By ,Updated: 25 Oct, 2016 05:17 PM
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी चलते छात्रों का भविष्य खतरे में है। स्टाफ की कमी के कारण स्कूलों में अब अब ...
नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी चलते छात्रों का भविष्य खतरे में है। स्टाफ की कमी के कारण स्कूलों में अब अब स्वयंसेवको को पढ़ाने के लिए बुलाया जा रहा है। इनमें कुछ तो उन्हीं स्कूलों के पुराने छात्र हैं तो कुछ बिना प्रशिक्षण के पढ़ा रहे हैं।
आपको बता दें कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक बहुत परेशान हैं। उनका मानना है कि इससे यह संदेश जाता है कि कोई भी टीचिंग कर सकता है। एक अध्यापक ने कहा, 'यह टेंपरेरी उपाय है। इनमें से अधिकतर प्रशिक्षित नहीं है इसलिए हम उनकी टीचिंग पर भरोसा नहीं कर सकते। ये सभी एक महीने तक पढ़ाएंगे और इन्हें इसके लिए सैलरी भी नहीं मिलेगी।
चुनौती 2018 कार्यक्रम के तहत प्रिंसिपल्स को कहा गया है कि वे स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से या ऐसे स्वयंसेवकों को खोजें जो पढ़ा सकें। लेकिन विशेषज्ञ यह कह रहे हैं कि यह खतरे की घंटी है क्योंकि जिनके पास टीचिंग का प्रशिक्षण नहीं है वो ये समझ नहीं पाते कि हर बच्चे की क्या आवश्यकता है और उसे कैसे पढ़ाना है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली के स्कूलों में 14 हजार पोस्ट ऐसी हैं जिन पर गेस्ट टीचर्स भी नही हैं।