स्वास्थ्य मंत्रालय का फैसला,दिव्यांग भी कर सकेंगे मेडिकल पीजी कोर्स

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 11:54 AM

health ministry s decision divyang can also do medical pg course

केंद्र सरकार ने दिव्यांगों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। दिव्यांगों को उनका अधिकार सौंपते हुए सरकार ने...

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दिव्यांगों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। दिव्यांगों को उनका अधिकार सौंपते हुए सरकार ने उनके डॉक्टर बनने का रास्ता भी साफ कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि 20 वर्षों में पहली बार किसी सरकार ने दिव्यांगों के लिए ऐसा फैसला किया है। बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिव्यांगों को मेडिकल पीजी कोर्स करने की अनुमति देने के साथ उन्हें इस क्षेत्र में 5 प्रतिशत आरक्षण का भी लाभ दिया है। हालांकि कोर्स में प्रवेश से पूर्व अभ्यर्थियों को चिकित्सीय परीक्षा देनी होगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, सरकार दिव्यांग भाई और बहनों को दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के तहत मेडिकल पीजी कोर्स करने से संबंधित फैसला लिया है। जो प्रधानमंत्री मोदी के सबका साथ, सबका विकास की पॉलिसी पर आधारित है। 

कई दुविधाएं भी मौजूद
मंत्रालय के इस फैसले से भले ही दिव्यांगों को राहत मिलेगी लेकिन इसमें कई तरह की दुविधा भी मौजूद है। इसके पीछे अधिनियम में शामिल दिव्यांगता की 21 श्रेणियों को बताया जा रहा है। राइट्स ऑफ पर्सन ऑफ डिसेबिलिटी एक्ट 2016 के तहत 21 श्रेणियाों को शामिल किया गया है। इनमें नेत्रहीन, बधिर, ऑटिज्म, पार्किंसन, तेजाब पीड़िता, सिकलसेल, हीमोफीलिया, मानसिक बीमारी, थैलेसीमिया इत्यादि को शामिल किया गया है। ऐसे में जानकारों के मन में सवाल है कि नेत्रहीन डॉक्टर ऐसे मरीजों का उपचार कैसे करेंगे? मंत्रालय के एक वरिष्ठï अधिकारी के मुताबिक भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) दिव्यांगता की श्रेणियों को परिभाषित करने में असफल रही है। इसका नुकसान सीधे तौर पर भविष्य के एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया में देखने को मिल सकती है।  अधिकारी की मानें तो शीघ्र ही ऐसा ही फैसला एमबीबीएस कोर्स में भी सरकार लेने की तैयारी कर रही है। अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय को पिछले काफी समय से इस आशय में शिकायतें मिल रही थी। दिव्यांग पीजी मेडिकल कोर्स करने की इच्छा जता रहे थे। जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। दिव्यांगता के स्तर को लेकर अभी मंत्रालय ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है।

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