हाईकोर्ट ने केन्द्र, राज्य एवं एनआईटी से मांगा प्रतिशपथ पत्र

Edited By pooja,Updated: 11 Dec, 2018 01:37 PM

high court quizzed the center state and nit

उत्तराखंड में स्थापित होने वाले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) की लड़ाई ने सोमवार को नया मोड़ ले लिया। इस लड़ाई में श्रीनगर के ग्रामीण भी कूद गये हैं

नैनीताल: उत्तराखंड में स्थापित होने वाले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) की लड़ाई ने सोमवार को नया मोड़ ले लिया। इस लड़ाई में श्रीनगर के ग्रामीण भी कूद गये हैं और उनकी मांग है कि संस्थान का निर्माण तयशुदा स्थान पर ही होना चाहिये। उच्च न्यायालय ने उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान को इस मामले में प्रतिशपथ पत्र पेश करने को कहा है।



दरअसल पौड़ी जिले के श्रीनगर के अस्थायी परिसर में चल रहे एनआईटी का मामला पहले ही उच्च न्यायालय पहुंच गया था। इस मामले को काशीपुर निवासी एवं एनआईटी के पूर्व छात्र जसवीर ने चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एनआईटी की स्थापना हुए नौ साल हो गए हैं। सरकार स्थायी परिसर का निर्माण नहीं कर पायी। अभी तक एनआईटी पॉलिटेक्निक कॉलेज के एक भवन में संचालित हो रहा है। जिस भवन में एनआईटी संचालित हो रहा है वह जर्जर है। परिसर के बीच से राष्ट्रीय राजमार्ग गुजर रहा है। जिससे हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहता है। हाल ही में हुई दुर्घटनाओं में दो छात्र घायल हो गये थे। सरकार ने स्थायी परिसर के लिये जो जगह तलाश की है, उसे आईआईटी रूड़की ने अपनी रिपोर्ट में उचित नहीं बताया है। याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय से एनआईटी को समुचित जगह स्थानांतरित करने की मांग की गयी। इसी बीच इस लड़ाई में आज श्रीनगर के सुमाड़ी, न्याल समेत चार गांवों के ग्रामीण भी कूद पड़े।



अधिवक्ता राजीव बिष्ट ने बताया कि ग्रामीणों की ओर से न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र देकर हस्तक्षेप करते हुए कहा गया कि उन्होंने एनआईटी की स्थापना के लिये 120 हेक्टेअर जमीन मुहैया करायी है। सरकार अभी तक एनआईटी के लिये जमीन हस्तांतरण व चारदीवारी के लिये 13 करोड़ की राशि का भुगतान भी कर चुकी है। अधिवक्ता बिष्ट ने आगे बताया कि ग्रामीणों ने यह भी कहा कि सरकार के अधिकांश विभागों की ओर से भी आवंटित जमीन का मुआयना किया गया है। आईआईटी रूड़की की ओर से जमीन को खारिज नहीं किया गया है। ग्रामीणों की ओर से यह भी दावा किया गया कि यदि परिसर के गठन के लिये और जमीन की आवश्यकता पड़ेगी तो वे उपलब्ध कराने को तैयार हैं। ग्रामीणों की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय स्थायी परिसर के निर्माण के लिये सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करे। बिष्ट ने यह भी बताया कि मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायाधीश लोकपाल सिंह की युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं एनआईटी को इस मामले में दो सप्ताह में प्रतिशपथ पत्र पेश करने को कहा है। इस मामले में सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
 

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