Edited By pooja,Updated: 02 Aug, 2018 12:48 PM
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली अब आयुर्वेद पर रिसर्च करेगा। आईआईटी ने तय किया है कि देश की पुरानी मेडिकल साइंस को तकनीकि से जोड़ते
नई दिल्ली: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली अब आयुर्वेद पर रिसर्च करेगा। आईआईटी ने तय किया है कि देश की पुरानी मेडिकल साइंस को तकनीकि से जोड़ते हुए नई रिसर्च की जाए। इसके लिए आईआईटी दिल्ली और ऑल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद मिलकर काम करेंगे।
रिसर्च की शुरुआत में 10 प्रोजेक्ट पर काम किया जाएगा। इसके लिए दोनों इंस्टीट्यूट की फैकल्टी को आमंत्रित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के सितम्बर में शुरू होने की पूरी उम्मीद है। आयुर्वेद की पहुंच बढ़ाने के लिए अब आईआईटी के स्कॉलर्स रिसर्च करेंगे। आयुर्वेद के अलग-अलग पहलुओं खासतौर पर आज के दौर में बढ़ रही कई बीमारियों में उपचार को लेकर आईआईटी तकनीकि पहलुओं पर काम करेगा। इस रिसर्च के लिए आयुष मिनिस्ट्री की ओर से अनुदान दिया जाएगा। आईआईटी के एक अधिकारी ने इस बारे में बताया कि ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेंद का मानना है कि भारत की मेडिकल साइंस को इस दौर में कामयाब करने के लिए तकनीकि पहलुओं पर काम करना जरूरी है।
आयुर्वेद में नैनो टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल, न्यूरोसाइंस, पंचकर्म के तकनीकी आयाम भी इसका हिस्सा बन सकते हैं। इन पर डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, इंडस्ट्री और मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स को मिलकर काम करना होगा। इसी को देखते हुए आईआईटी और इस इंस्टीट्यूट के एक्सपर्ट्स एक साथ काम करेंगे। आईआईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर रामगोपाल राव का कहना है कि आयुर्वेद की साइंस को रिसर्च और टेक्नोलॉजी से जोडऩा जरूरी है। यह हमारी पुरानी मेडिकल साइंस है, जिस पर आज के समय से जोड़ते हुए रिसर्च करना जरूरी है। शुरुआत में 10 प्रोजेक्ट पर दोनों इंस्टीट्यूट की फैकल्टी को इनवाइट किया जाएगा। हमारे पास मेडिकल साइंस का डिपार्टमेंट नहीं है और इसके लिए हमने एम्स और आयुष के साथ काम करना शुरू किया है।