Edited By Sonia Goswami,Updated: 22 Jan, 2019 12:07 PM
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि जब तक हम यह महसूस नहीं करेंगे कि गांवों का विकास राष्ट्र के विकास की एक आवश्यक शर्त है तब तक विकास एक अधूरा सपना ही रहेगा।
दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि जब तक हम यह महसूस नहीं करेंगे कि गांवों का विकास राष्ट्र के विकास की एक आवश्यक शर्त है तब तक विकास एक अधूरा सपना ही रहेगा। श्री नायडू ने यहां अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् द्वारा आयोजित समारोह में ग्रामीण विकास के लिए नवोन्मेष करने वाले छात्रों को विश्वकर्मा पुरस्कार प्रदान करते हुए यह बात कही ।
उन्होंने कहा कि हमारे शैक्षणिक संस्थानों ने यह महसूस करना शुरू कर दिया है कि भारत की समृद्धि की कुंजी हमारे गांवों में है। उपराष्ट्रपति ने कहा ‘‘मैंने हमेशा यह माना है कि छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में समय बिताने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। गांवों के संपर्क में वे वहां के लोगों की समस्याओं को समझ सकेंगे।’’
उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षण संस्थानों में ही नए विचार और नवोन्वेषण पनपता है। ग्रामीण विकास में शिक्षण संस्थाओं की भागीदारी गांवों में व्यापक परिवर्तन ला सकती है। श्री नायडू ने कहा कि हमारे विकास की ²ष्टि अभी भी शहर केंद्रित है। विकास के मानकों पर ग्रामीण भारत अभी भी शहरी भारत से पिछड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए योजना बनाते समय हमें जनता की आकांक्षाओं को शामिल करना होगा, उनकी क्षमताओं का उपयोग करना होगा और उनकी कमियों को पूरा करना होगा।
उन्होंने कहा कि विकास का अर्थ मात्र ऊंची इमारतें बनाना ही नहीं बल्कि स्थानीय ग्रामीण कारीगर का सशक्तीकरण या लघु उद्योग को प्रोत्साहन भी विकास का अभीष्ट है। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन पर चिंता जताते हुए कहा कि पर्यावरण परिवर्तन के कुप्रभावों का खामियाजा सबसे अधिक गरीबों और किसानों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने विकास प्रक्रिया में स्वच्छ ऊर्जा को स्थान देने का आग्रह किया।
उप राष्ट्रपति ने इस दिशा में सरकार द्वारा उठाए जा रहे कारगर कदमों का उल्लेख करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि भारत न केवल विश्व की सबसे तेज अर्थव्यवस्था बनेगा बल्कि विश्व के लिए विकास का आदर्श माडल भी बनेगा। इसके लिए देश को पर्यावरण सम्मत औद्योगिकीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा देना होगा तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी विकास प्रक्रिया में शामिल करना होगा।
इस अवसर पर उन्होंने छात्रों से अपेक्षा की कि हर क्षेत्र में उत्कृष्टता अर्जित करें। उन्होंने कहा कि ‘‘हम उन सहस्त्रों स्वप्नों के प्रति उत्तरदायी हैं जो भारत को विश्व के हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने की इच्छा रखते हैं।’’