Edited By Sonia Goswami,Updated: 23 Jan, 2019 10:25 AM
कहते हैं सपनें उन्हीं के सच होते हैं जिनके सपनों में जान होती है। आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान के बूंदी जिले की कलेक्टर की जिन्होंने अपनी मेहनत से अपने सपनों को पूरा किया।
एजुकेशन डेस्कः कहते हैं सपनें उन्हीं के सच होते हैं जिनके सपनों में जान होती है। आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान के बूंदी जिले की कलेक्टर की जिन्होंने अपनी मेहनत से अपने सपनों को पूरा किया। आईएएस रुक्मणि रियार कक्षा छह में जब वह पहली बार बोर्डिंग स्कूल गईं तो वहां के माहौल और पढ़ाई के दबाव के कारण वह फेल हो गईं। फेल होने के बाद वह इतना घबरा गईं कि कैसे वह अपने पेरेंट्स और टीचर को फेस करेंगी। इतना तनाव में आईं की वह डिप्रेशन में चली गईं। लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने खुद को मजबूती के साथ खड़ा किया और तय किया कि वह अब खुद पर तनाव व पढ़ाई को किसी भी हालात में हावी नहीं होने देंगी।
चंडीगढ़ में पली बढ़ी रुक्मणि ने 2011 में यूपीएससी परीक्षा में देश में दूसरा स्थान पाया था। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से मास्टर्स डिग्री लेने के बाद ही उन्होंने इस परीक्षा में पहले ही अटेम्ट में सफलता हासिल कर ली थी। रुक्मणि सेवानिवृत डिप्टी डिस्ट्रिक अटॉर्नी,होशियारपुर बलजिंदर सिंह की बेटी और मौजूदा समय में बूंदी जिले की कलेक्टर हैं।
रुक्मणि ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से मास्टर्स डिग्री के बाद एनजीओ के साथ मिलकर भी काम किया। इस दौरान उन्होंने ने ठान लिया था कि वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए कोई समझौता नहीं करेंगी। उनकी लगन और मेहनत का ही फल था कि वह बिना कोचिंग लिए यूपीएससी परीक्षा में न केवल पहली बार ही सफल रही बल्कि देश में दूसरे स्थान पर रहीं। रुक्मणि अपनी सफलता का श्रेय पिता बलजिंदर सिंह, माता तकदीर कौर, अपने शिक्षकों और दोस्तों को देती हैं।