Edited By pooja,Updated: 14 Mar, 2019 11:11 AM
जेएनयू प्रवेश परीक्षा की घोषणा होते ही जेएनयू छात्र संघ और एबीवीपी ने शुल्क को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। दरअसल, पिछले साल सामान्य वर्ग के लिए 530 रुपए
नई दिल्ली: जेएनयू प्रवेश परीक्षा की घोषणा होते ही जेएनयू छात्र संघ और एबीवीपी ने शुल्क को लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। दरअसल, पिछले साल सामान्य वर्ग के लिए 530 रुपए प्रवेश शुल्क लिया गया था। वहीं इस बार प्रवेश परीक्षा का शुल्क 1200 रूपए बढ़ा दिया गया है। वहीं ओबीसी वर्ग के आवेदकों के लिए 900 रुपए शुल्क है। जबकि, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति वर्ग के लिए प्रवेश परीक्षा का शुल्क 265 से बढ़ाकर 600 कर दिया गया है। इस मामले को लेकर एबीवीपी ने जेएनयू कुलपति को पत्र लिखा है। एबीवीपी का कहना है कि जेएनयू में प्रवेश परीक्षा का शुल्क बहुत ज्यादा बढ़ा दिया गया है। जेएनयू में आदिवासी से लेकर सभी तबके के अभ्यर्थी दाखिले के लिए आवेदन करते है। ऐसे में अगर प्रवेश परीक्षा की शुल्क इतनी बढ़ा दी जाएगी, तो आदिवासी और हाशिए तबके के आवेदक आवेदन नहीं कर पाएंगे। हमारी यही मांग है कि पुराने प्रवेश शुल्क को जल्द से जल्द बहाल किया जाए।
बीए लेटरल एंट्री प्रोग्राम हुआ बंद : छात्र संघ
जेएनयू प्रशासन पर आरोप लगाते हुए छात्र संघ का कहना है कि इस बार बीए लेटरल एंट्री पाठ्यक्रम को प्रशासन की तरफ से बंद कर दिया गया है। दरअसल, जेएनयू के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज में बीए लेटरल एंट्री प्रोग्राम को बंद कर दिया गया। प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए छात्र संघ का कहना है कि इंटिग्रेटेड एमफिल-पीएचडी पाठ्यक्रम को प्रशासन की तरफ से गैर-कानूनी तरीके से खत्म कर दिया गया है। इसको लेकर हम कल प्रदर्शन करेंगे और प्रशासन से मांग करेंगे कि जेएनयू प्रवेश परीक्षा की पुरानी शुल्क को बहाल करे।