Edited By Riya bawa,Updated: 14 May, 2020 10:03 AM
देशभर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे है। ऐसे में कोरोना वायरस का टेस्ट करवाने बहुत सी डिवाइस तैयार की गई है। इसी बीच अब
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय भी इस योगदान के...
नई दिल्ली: देशभर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे है। ऐसे में कोरोना वायरस का टेस्ट करवाने बहुत सी डिवाइस तैयार की गई है। इसी बीच अब
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय भी इस योगदान के लिए आगे आया है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कोरोना वायरस का परीक्षण करने के लिए कम लागत वाली, पोर्टेबल और बैटरी चालित उपकरण विकसित कर रहा है। जेएनयू के अनुसार ये डिवाइस पारंपरिक विधि के माध्यम से 120-180 मिनट की तुलना में 50 मिनट में परीक्षण पूरा कर सकती है।
क्या है ये सस्ती टेस्टिंग डिवाइस
चिप-आधारित आरटी-पीसीआर
यह एक चिप आधारित स्थानिक रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) डिवाइस है जिसे इंजीनियर्स की एक टीम ने डिजाइन किया है, इसमें पीसीआर को एलईडी और डायोड डिटेक्टर युक्त एक अंतर्निहित पहचान प्रणाली के साथ एकीकृत किया गया है।
#जेएनयू के अनुसार, पारंपरिक रीयल-टाइम पीसीआर में 10-15 लाख रुपये का खर्च आता है. जबकि इस टेक्नोलॉजी पर 60,000 रुपये से 1 लाख रुपये का खर्च आएगा।
#जेएनयू में स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी से जयदीप भट्टाचार्य के नेतृत्व में एक टीम द्वारा उपकरण विकसित किया जा रहा है। चार महीनों के भीतर डिवाइस के प्रोटोटाइप की उम्मीद की जा सकती है.
कुलपति ने किया ट्वीट
-कुलपति ने एक ट्वीट में कहा कि कोरोनो वायरस के संक्रमण का पता लगाने का काम रिवर्स-ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीटी) द्वारा किया जा रहा है। ये एक सटीक लैब टेस्ट है लेकिन यह तकनीक महंगी भी है, इसके लिए उच्च-स्तरीय प्रयोगशाला-आधारित उपकरणों की आवश्यकता है और इसमें समय भी ज्यादा लगता है।
-कुलपति का दावा है कि ये एक छोटे आकार की मशीन है जो कम समय, कम लागत के साथ एक पोर्टेबल डिवाइस के तौर पर विकसित की जा रही है. इस डिवाइस को संभालने वाले कर्मियों का सरल प्रशिक्षण होगा।