Edited By ,Updated: 19 Mar, 2017 04:39 PM
वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि ‘लहरों से डरकर कभी नौका पार नहीं होती और कोशिश करनेवालों...
नई दिल्ली : वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि ‘लहरों से डरकर कभी नौका पार नहीं होती और कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती । ये हौसले और जूनून की एक ऐसी कहानी है जिसने एक मामूली से लड़के के आसमान में उड़नेवाले ख्वाब को ना सिर्फ पंख दिया बल्कि इसे हकीकत में तब्दील भी कर दिया। आइए हम आपको बताते हैं डिलीवरी बॉय और ऑटो चलानेवाले एक साधारण से लड़के की एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी, जिससे आप भी अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा ले सकते हैं।
डिलीवरी बॉय से पायलट बनने का सपना हुआ साकार दरअसल ये कहानी है श्रीकांत पंतवणे नाम के एक ऐसे लड़के की, जिसने अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की। उसने कभी डिलीवरी बॉय का काम किया तो कभी ऑटो चलाने से भी परहेज नहीं किया। ये उसकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि वो जो बनना चाहता था वो बन गया। श्रीकांत पंतवणे एक पायलट बनना चाहता था और आज वो इंडिगो एयरलाइन्स में कमर्शियल पायलट है।
श्रीकांत पंतवणे के पिता चौकीदारी करते थे
श्रीकांत पंतवणे के संघर्षों की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। क्योंकि श्रीकांत को पायलट बनने के लिए काफी संघर्ष भी करना पड़ा है।बताया जाता है कि श्रीकांत पंतवणे के पिता एक मामूली चौकीदार थे. जाहिर है एक चौकीदार अपने बेटे को पायलट बनाने की सोच भी कैसे सकता था। लेकिन श्रीकांत भी अपने मुश्किल हालातों से डरकर हार मानने वालों में से नहीं था। शायद यही वजह है कि श्रीकांत ने अपने सपने को साकार करने के लिए डिलीवरी बॉय का काम किया तो कभी ऑटो ड्राइवर भी बन गया और पाई-पाई जोड़ने लगा।
वायु सेना के एक कर्मचारी से मिली प्रेरणा
श्रीकांत पंतवणे के मुताबिक पायलट बनने के सपने को साकार करने के लिए उसे वायुसेना के एक कर्मचारी से प्रेरणा मिली। ना सिर्फ प्रेरणा मिली बल्कि उस कर्मचारी ने पायलट बनने के लिए उसे डीजीसीए के पायलट स्कॉलरशिप प्रोग्राम के बार में भी जानकारी दी। इसके बाद श्रीकांत पंतवणे ने अपनी तैयारी करनी शुरू कर दी और 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद उसी स्कॉलरशिप से मध्यप्रदेश के एक फ्लाइट स्कूल में दाखिला लिया।