Edited By Riya bawa,Updated: 26 Jun, 2019 01:41 PM
हर साल लाखों स्टूडेंट्स जेईई मेन परीक्षा ...
नई दिल्ली: हर साल लाखों स्टूडेंट्स जेईई मेन परीक्षा में हिस्सा लेते है और सफलता हासिल करके अपने करियर की राह पर आगे बढ़ते है। कहा जाता है मेहनत के बिना कामयाबी हासिल नहीं होती है। कामयाबी हासिल करने के लिए भी बहुत सी परेशानियों से गुजरना पड़ता है लेकिन हालात जैसे भी हो सफलता कदम जरूर चूमती है।
बात कर रहे है राजस्थान के भीलन गांव से ताल्लुक रखने वाले लेखराज की जिसने जेईई मेन परीक्षा में सफलता हासिल की है। एक वक्त तो ऐसा भी था जब लेखराज को ये भी नहीं पता था कि इंजीनयरिंग क्या होती है और जेईई मेन एग्जाम क्या होता है? आज उसी शख्स ने ये परीक्षा पास की है। इसके साथ ही वह आज गांव का पहला इंजीनियर बन गया है।
पहली बार में पास किया जेईई मेन एग्जाम
कहा जा रहा है कि लेखराज ने पहली बार में जेईई मेन एग्जाम पास किया है। उसके माता-पिता झालावाड़ के मोगायबेह भीलन गांव के मनरेगा मजदूर हैं। वह राजस्थान के अपने आदिवासी गांव में पहले हैं जो जेईई मेन में चयनित हुए हैं।
लेखराज के पिता मांगीलाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मुझे नहीं पता था कि एक इंजीनियर होता क्या है. मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि मेरा बेटा ग्रेजुएट हो जाएगा। आज मैं ये सोचकर खुश हूं कि मेरा बेटा भेल समुदाय और गांव में पहला इंजीनियर बनने जा रहा है। बता दें कि लेखराज ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा में भी 93.83 प्रतिशत अंक लाकर झालावाड़ जिले में टॉप किया था।