डिमांडिंग करियर बन गया है लॉ ग्रेजुएट

Edited By Sonia Goswami,Updated: 29 Oct, 2018 09:08 AM

law graduate become has demanding career

लॉ ग्रेजुएट्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसकी जरूरत आज के समय में सबसे ज्यादा हो गई है। लोगों की जरूरतें ही नहीं न्यायपालिका को भी नए सोच के साथ युवाओं की जरूरत है। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जहां न्यायापालिका की जरूरत नहीं। यही कारण है कि लॉ अब डिमांडिंग करियर...

नई दिल्लीः लॉ ग्रेजुएट्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसकी जरूरत आज के समय में सबसे ज्यादा हो गई है। लोगों की जरूरतें ही नहीं न्यायपालिका को भी नए सोच के साथ युवाओं की जरूरत है। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जहां न्यायापालिका की जरूरत नहीं। यही कारण है कि लॉ अब डिमांडिंग करियर बन गया है।

कई मामले ऐसे हैं जहां किसी पीटीशन की जरूरत नहीं होती बल्कि न्यायालय स्वत: संज्ञान लेकर काम करता है। न्यायपालिका की इस सक्रियता के कारण ही लोगों का भरोसा उस पर बढ़ा है और उनमें यह उम्मीद जागी है कि अगर प्रशासन उनकी नहीं सुनता, तो कोर्ट जरूर उनके साथ न्याय करेगा।

न्यायालय ही नहीं कई ऐसे सेक्टर भी हैं जहां लॉ एजुकेटेड लोगों की जरूरत होती है। कॉपरेट सेक्टर से लेकर सरकारी विभागों तक में लीगर एडवाइजर चाहिए होता है। वहीं लॉ पढ़ाने के साथ कानूनी लड़ाई के लिए भी लॉ वालों की जरूरत होती है। तो आइए जानते हैं कहां कहां लॉ ग्रेजुएट्स के लिए अवसर हैं।

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कोर्ट से कॉरपोरेट तक  
लीगल प्रोफेशन में रुचि रखने वाले युवाओं को लीगल फील्ड में सरकारी और निजी क्षेत्रों में सम्मानजनक तरीके से काम करने और कामयाबी की ऊंचाई तक पहुंचने के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। इसके लिए लॉ में डिग्री हासिल करने के बाद बार काऊंसिल में पंजीकरण करवा कर अपने सफर की शुरुआत की जा सकती है। न्यायपालिक में सेशन कोर्ट के जज से शुरुआत करके हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक का न्यायाधीश बनने की राह पर बढ़ा जा सकता है। एटॉर्नी और लोकअभियोजक तक बनने का विकल्प होता है।  
 

सरकारी-निजी वकील
सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दीवानी, फौजदारी, रेवेन्यू या अन्य मामलों से जुड़े मुकदमों की पैरवी के लिए विवाद से जुड़े दोनों पक्षों के वकील होते हैं। पुलिस या अन्य जांच एजैंसियों द्वारा चलाए जाने वाले मुकदमों की पैरवी के लिए लोक अभियोजक होते हैं। बचाव पक्ष की तरफ से निजी वकील कोर्ट में मुकदमे की पैरवी करते हैं। आपसी विवाद में दोनों पक्षों की तरफ से कोर्ट में प्राइवेट वकील ही किसी केस की पैरवी करते हैं।

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न्यायाधीश के रूप में
अगर आप लॉ ग्रेजुएट हैं और एक न्यायाधीश के रूप में शुरुआत करना चाहते हैं, तो आपको राज्य लोक सेवा आयोगों द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रॉविंशियल सिविल सर्विसेज जुडिशियरी परीक्षा पास करनी होगी। इसे क्वालिफाई करने के बाद सत्र या जिला न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति होती है। बेहतर काम और अनुभव के आधार पर कुछ वर्षों के बाद हाईकोर्ट के जज के रूप में चयन हो सकता है।  

 
एटॉर्नी जनरल
लंबा अनुभव रखने वाले विधि विशेषज्ञों को सरकार महान्यायवादी या डिप्टी एटॉर्नी नियुक्त करती हैं। इनका काम सुप्रीम कोर्ट या समकक्ष न्यायालयों में आवश्यकतानुसार सरकार का पक्ष रखना और सरकारी मामलों की पैरवी करना होता है। राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आगे बढ़ते समय उनके कानूनी पहलुओं पर सरकारें इनसे विचार विमर्श करती हैं।

साइबर एक्सपर्ट
हाल के वर्षों में ऑनलाइन गतिविधियां और बैंकिंग लेन-देन तेजी से बढ़ा है, पर इसके साथ साइबर क्राइम यानी ऑनलाइन धोखाधड़ी भी तेजी से बढ़ी है। ऐसे में साइबर लॉ के जानकारों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। इसमें विशेषज्ञता के लिए लॉ ग्रेजुएट साइबर लॉ का शॉर्ट टर्म कोर्स कर सकते हैं।

 

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