लोस चुनाव पर मोदी का बड़ा पैंतरा-अगर नहीं कर रहे हैं नौकरी तब भी मिलेगी सैलरी

Edited By Sonia Goswami,Updated: 28 Dec, 2018 10:02 AM

loksbha election 2019

लोकसभा चुनाव आते ही सरकार ने लोगों को अपनी तरफ आकर्शित करने के लिए नए-नए पैतरें अपनाने शुरु कर दिए हैं। बेरोजगारी की मार ज्यादा  होने के चलते सरकार ने एक ऐसी योजना शुरू करने की बात कर दी जिससे लोग अपने आप सरकार की तरफ बढ़ने लगेंगे।

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव आते ही सरकार ने लोगों को अपनी तरफ आकर्शित करने के लिए नए-नए पैतरें अपनाने शुरु कर दिए हैं। बेरोजगारी की मार ज्यादा  होने के चलते सरकार ने एक ऐसी योजना शुरू करने की बात कर दी जिससे लोग अपने आप सरकार की तरफ बढ़ने लगेंगे।

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हम बात कर रहे हैं यूनिवर्सल बेसिक इनकम की। इसके अंतर्गत जितने भी बेरोजगार हैं उनके बैंक के खाते में एक तय राशि जमा की जाती है, जिससे की आप अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा कर सकें। आपको बता दें कि इस योजना पर पिछले दो सालों से काम चल रहा है। अच्छी बात ये है कि कम से कम 20 करोड़ लोग इसका लाभ उठा सकते हैं। 

 

आपको बता दें कि आने वाले बजट में इस योजना को सरकार लोगों के सामने ला सकती हैं। अभी इसे लेकर कोई खास जानकारी के बारे में नहीं पता चला है। किसको इस योजना का लाभ देना है और किसको नहीं अभी इस पर विचार चल रहा है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस योजना को इलेक्शन से पहले लागू कर दें।  

 

इस प्लान को हरी झंडी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता मे होने वाली एक बैठक में इस पर चर्चा होगी। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक इस बैठक से पहले सभी मंत्रालयों से यूनिवर्सल बेसिक इनकम के बारे में सुझाव मांगे गए हैं। सुझावों पर गौर करने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली अंतरिम बजट में इसकी घोषणा कर सकते हैं।

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क्या है यूबीआई

संसद में वर्ष 2017-18 के लिए पेश आर्थिक सर्वेक्षण में इसका जिक्र किया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि यूबीआई एक बेहद शक्तिशाली विचार है और यदि यह समय इसे लागू करने के लिए परिपक्व नहीं है तो इस पर गंभीर चर्चा तो हो ही सकती है।

 

इसमें कहा गया है कि सिर्फ केन्द्र सरकार की ही करीब 950 योजनाएं चलती हैं जिस पर सकल घरेलू उत्पाद की करीब पांच फीसदी राशि खर्च होती है। इसके अलावा मध्यम वर्ग को खाद्य, रसोई गैस और उर्वरक पर सकल घरेलू उत्पाद की तीन फीसदी राशि खर्च होती है। यह राशि लक्ष्य समूह तक पहुंच सके, इसमें यूबीआई सहायक हो सकता है।

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चुनावों से पहले हो सकती है लागू

केंद्र सरकार की अब सीधे नजर मई 2019 में होने वाले आम चुनावों पर है। इसलिए वो बजट में इस योजना की घोषणा करना चाहती है, ताकि एनडीए एक बार फिर से भारी बहुमत से जीत सकें। मोदी सरकार इस स्कीम पर दो साल से काम कर रही है।

 
 

पायलट प्रोजेक्ट की जानकारी

मध्य प्रदेश में साल 2010 से 2016 तक चले पायलट प्रॉजेक्ट में काफी सकारात्मक नतीजे आए थे। इंदौर के 8 गांवों की 6,000 की आबादी के बीच पुरुषों और महिलाओं को 500 और बच्चों को हर महीने 150 रुपये दिए गए। इसी तरह तेलंगाना और झारखंड जैसे छोटे राज्यों में भी इस तरह की स्कीम चल रही है। तेलंगाना में सरकार किसानों को फसल बोने से पहले और बाद में 4-4 हजार रुपये की मदद देती है। 

 

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कौन से हैं वह देश जहां लागू है ये योजना

साइप्रस, फ्रांस, अमेरिका के कई राज्य, ब्राजील, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, नीदरलैंड, आयरलैंड, लग्जमबर्ग जैस देशों में इस तरह की व्यवस्था पहले से लागू है। 

 

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