राजनीति के महायोध्दा का महाप्रयाण (अटल बिहारी वाजपेयी)

Edited By pooja,Updated: 18 Aug, 2018 10:51 AM

mahayodhada of politics atal bihari vajpayee

भारत माँ के सच्चे सपूत, राष्ट्र पुरुष, राष्ट्र मार्गदर्शक, सच्चे देशभक्त ना जाने कितनी उपाधियों से पुकार जाता था भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी को वो सही मायने

भारत माँ के सच्चे सपूत, राष्ट्र पुरुष, राष्ट्र मार्गदर्शक, सच्चे देशभक्त ना जाने कितनी उपाधियों से पुकार जाता था भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी
को वो सही मायने में भारत रत्न थे। इन सबसे भी बढ़कर पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी एक अच्छे इंसान थे। जिन्होंने जमीन से जुड़े रहकर राजनीति की और ‘‘जनता के प्रधानमंत्री’’ के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनायी थी। एक ऐसे इंसान जो बच्चे, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों सभी के बीच में लोकप्रिय थे। देश का हर युवा, बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता था। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया और जिसका उन्होंने अपने अंतिम समय तक निर्वहन किया। बेशक पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी कुंवारे थे लेकिन देश का हर युवा उनकी संतान की तरह था। देश के करोङो बच्चे और युवा उनकी संतान थे। पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी का बच्चों और युवाओं के प्रति खास लगाव था। इसी लगाव के कारण पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी बच्चों और युवाओं के दिल में खास जगह बनाते थे। भारत की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने वाले राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी का काम बहुत शानदार रहा।

उनके कार्यों की बदौलत ही उन्हें भारत के ढांचागत विकास का दूरदृष्टा कहा जाता है। सब के चहेते और विरोधियों का भी दिल जीत लेने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पंडित अटल बिहारी वाजपेयी का सार्वजनिक जीवन बहुत ही बेदाग और साफ सुथरा था। इसी बेदाग छवि और साफ सुथरे सार्वजनिक जीवन की वजह से अटल बिहारी वाजपेयी जी का हर कोई सम्मान करता था। उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए राष्ट्रहित सदा सर्वोपरि रहा। तभी उन्हें राष्ट्रपुरुष कहा जाता था। पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी की बातें और विचार सदां तर्कपूर्ण होते थे और उनके विचारों में जवान सोच झलकती थी। यही झलक उन्हें युवाओं में लोकप्रिय बनाती थी। पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी जब भी संसद में अपनी बात रखते थे तब विपक्ष भी उनकी तर्कपूर्ण वाणी के आगे कुछ नहीं बोल पाता था। अपनी कविताओं के जरिए अटल जी हमेशा सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करते रहे। उनकी कवितायेँ उनके प्रशंसकों को हमेशा सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेंगी

पंडित अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। अटल जी 1957 से 1977 तक लगातार जनसंघ की और से संसदीय दल के नेता रहे। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम  प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तक को प्रभावित किया। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी के संसद में दिए ओजस्वी भाषण को सुनकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनको भविष्य का प्रधानमंत्री तक बता दिया था। और आगे चलकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की भविष्यवाणी सच भी साबित हुई। अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार था। उनके विपक्ष के साथ भी हमेशा सम्बन्ध मधुर रहे। 1971 के भारत पाकिस्तान युध्द में विजयश्री के साथ बांग्लादेश को आजाद कराकर पाक के 93 हजार सैनिकों को घुटनों के बल भारत की सेना के सामने आत्मसमर्पण करवाने वाली देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी को अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में दुर्गा की उपमा से सम्मानित किया था। और 1975 में इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था। आपातकाल की वजह से इंदिरा गाँधी को 1977 के लोकसभा चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ी। और देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी जिसके मुखिया स्वर्गीय मोरारजी देसाई थे। और अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया। अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री रहते हुये पूरे विश्व में भारत की छवि बनायीं। और विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने। अटल जी 1977 से 1979 तक देश के विदेश मंत्री रहे। 1980 में जनता पार्टी के टूट जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। भाजपा द्वारा सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन अटल जी 13 दिन तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने अपनी अल्पमत सरकार का त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया। 1998 में भाजपा फिर दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन 13 महीने बाद तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जयललिता के समर्थन वापस लेने से उनकी सरकार गिर गयी। लेकिन इस बीच अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया।

 अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए लेकिन उसके बाद भी भारत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हर तरह की चुनौतियों से सफलतापूर्वक निबटने में सफल रहा। अटल बिहारी वाजपेयी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल की और पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की। लेकिन कुछ ही समय पश्चात् पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान द्वारा कब्जा की गयी जगहों पर हमला किया और पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। एक बार फिर पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी और भारत को विजयश्री मिली। कारगिल युध्द की विजयश्री का पूरा श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को दिया गया। कारगिल युध्द में विजयश्री के बाद हुए 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। सबसे बड़ी पार्टी केरूप में उभरने के बाद भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 13 दलों से  गठबंधन करके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के रूप में सरकार बनायी। और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया।

 

*ब्रह्मानंद राजपूत, दहतोरा, शास्त्रीपुरम, सिकन्दरा, आगरा*

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