MBA करना चाहते है तो बेस्ट बिजनेस स्कूल चुनने से पहले ध्यान रखें ये बातें

Edited By bharti,Updated: 17 May, 2018 06:41 PM

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आज के समय में बढ़ते इस कंपीटिशन के दौर में हर कोई आगे बढ़ने की रेस में लगा है। युवा अपने करियर को लेकर बहुत ही सजग हो गए है।  भारत...

नई दिल्ली : आज के समय में बढ़ते इस कंपीटिशन के दौर में हर कोई आगे बढ़ने की रेस में लगा है। युवा अपने करियर को लेकर बहुत ही सजग हो गए है।  भारत में एमबीए कोर्स छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय है। ज्यादा से ज्यादा छात्र नामी बिजनस स्कूलों में दाखिला और आरामदेह नौकरी चाहते हैं। लेकिन, दूर से एमबीए का जॉब जितना आकर्षक लगता है, वाकई में उतना नहीं है। एक स्टडी के मुताबिक देश के बिजनेस-स्कूल्स से निकलने वाले मैनेजमेंट ग्रैजुएट्स में से केवल 7 फीसदी ही ऐसे हैं जिन्हें जॉब मिल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश के कुछ टॉप बी-स्कूल्स को छोड़कर ज्यादातर में औसत या निम्न स्तर की एजुकेशन दी जा रही है। तो अगर आप एमबीए करने का मन बना चुके हैं और मैनेजमेंट का एंट्रेंस टेस्ट देने की तैयारी कर रहे हैं तो आइए जानते है कि कुछ एेसे टिप्स के बारे में जो आपको अच्छे बी स्कूल के चुनाव में मदद कर सकते है।

इंफ्रास्ट्रक्चर का लेवल
अगर आप अच्छे  बी-स्कूल में दाखिला लेना चाहते है तो सबसे पहले उसके इंफ्रास्ट्रक्चर का लेवल अच्छा होना चाहिए। स्कूल में आधुनिक कम्प्यूटर लैब, हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्शन, अच्छी बुक्स और मैनेजमेंट लिटरेचर के सब्सक्रिप्शन की सुविधायुक्त लाइब्रेरी और ऑडियो विजुअल एड युक्त क्लासरूम जरूर होना चाहिए। यह भी देखें कि वहां हॉस्टल की अच्छी फैसिलिटी हो क्योंकि एक फुल रेजिडेंशियल प्रोग्राम में आप फैकल्टी और साथी स्टूडेंट्स के साथ 24x7 संपर्क में रहकर अपनी लर्निंग को कई गुना बढ़ा सकते हैं।

फैकल्टी का कॉम्बिनेशन
किसी भी अच्छे इंस्टीट्यूट में फुल टाइम और पार्ट टाइम फैकल्टी मेंबर्स का एक बेहतर कॉम्बिनेशन होता है। जहां फुल टाइम फैकल्टी स्टूडेंट्स को दो वर्षों तक कन्टीन्यूटी और मॉनिटरिंग के साथ पूरी मदद देती है, वहीं पार्ट टाइम फैकल्टी एक्सटरनल एक्सपोजर, इंडस्ट्री में कॉन्टैक्ट्स और रियल टाइम प्रोजेक्ट्स हासिल करने में हेल्प करती है। 

लोकेशन
मैनेजमेंट कॉलेज की लोकेशन कैंपस में होने वाले प्लेसमेंट्स को इन डायरेक्टली प्रभावित करती है। उन शहरों में स्थित इंस्टीट्यूट्स में बेहतर प्लेसमेंट देखा गया है, जहां बड़े पैमाने पर इंडस्ट्रीज मौजूद हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके लिए अपने हैडक्वाटर्स के नजदीक के इंस्टीट्यूट्स में जाना आसान होता है। यही वजह है कि मुम्बई, नई दिल्ली और बेंगलुरु में दूसरे शहरों की तुलना में बेहतर प्लेसमेंट होते हैं।

प्लेसमेंट रिकॉर्ड
बी-स्कूल के सिलेक्शन के लिए यह एक बहुत ही जरूरी फैक्टर है। किसी इंस्टीट्यूट में प्लेसमेंट का रिकॉर्ड कैसा है, इसके बारे में आप वहां के पासआउट स्टूडेंट्स से बात कर सकते हैं। हर स्टूडेंट को मिलने वाले ऑफर्स की एवरेज संख्या के आधार पर भी आप अनुमान लगा सकते हैं कि वहां प्लेसमेंट की क्या स्थिति है।

फीस
देश के मैनेजमेंट स्कूल्स में ली जाने वाली फीस में बड़ा अंतर देखा जा सकता है। जहां यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट्स में दो वर्षीय पोस्ट ग्रैजुएट प्रोग्राम की फीस कुछ हजार रुपए होती है, वहीं प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट्स में इसी प्रोग्राम की फीस कई लाख रुपए तक हो सकती है। ऐसे में सिलेक्शन में फीस भी एक बड़ा फैक्टर है।

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