Edited By Sonia Goswami,Updated: 29 Jan, 2019 03:16 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा से पहले छात्रों से ''परीक्षा पे चर्चा 2.0'' कार्यक्रम के जरिए छात्रों और अभिभावकों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने बताया कि छात्र कैसे परीक्षा के दौरान तनावमुक्त रह सकते हैं। पीएम ने छात्रों के अलावा अभिभावकों को...
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा से पहले छात्रों से 'परीक्षा पे चर्चा 2.0' कार्यक्रम के जरिए छात्रों और अभिभावकों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने बताया कि छात्र कैसे परीक्षा के दौरान तनावमुक्त रह सकते हैं। पीएम ने छात्रों के अलावा अभिभावकों को यह भी बताया कि वे कैसे बच्चों पर दबाव बनाए बिना उनकी मदद कर सकते है और उन्हें प्रोत्साहिक कर सकते हैं।
ये हैं सफलता के मंत्र
-आप अपनी तुलना अपने पुराने रिकॉर्ड से कीजिए, आप कंपटीशन अपने रिकॉर्ड से कीजिए, आप अपने रिकॉर्ड ब्रेक कीजिए, आप अगर खुद के रिकॉर्ड ब्रेक करेंगे तो आपको कभी भी निराशा के गर्त में डूबने का मौका नहीं आयेगा।
-अगर हम अपने आपको कसौटी के तराजू पर झौकेंगे नहीं तो जिंदगी में ठहराव आ जाएगा।
-ज़िन्दगी का मतलब ही होता है गति।
-लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जो पहुंच में तो हो, पर पकड़ में न हो। जब हमारा लक्ष्य पकड़ में आएगा तो उसी से हमें नए लक्ष्य की प्रेरणा मिलेगी।
-जो सफल लोग होते हैं, उन पर समय का दबाव नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्होंने अपने समय की कीमत समझी होती है ।
-कसौटी बुरी नहीं होती, हम उसके साथ किस प्रकार के साथ डील करते है उसपर डिपेंड करता है। मेरा तो सिद्धांत है कि कसौटी कसती है, कसौटी कोसने के लिए नहीं होती है ।
-जब मन में अपनेपन का भाव पैदा हो जाता है तो फिर शरीर में ऊर्जा अपने आप आती है और थकान कभी घर का दरवाजा नहीं देखती है।
-मां-बाप और शिक्षकों को बच्चों की तुलना नहीं करना चाहिए, इससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हमें हमेशा बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
-डिप्रेशन या स्ट्रेस से बचने के लिए काऊंसिलिंग से भी संकोच नहीं करना चाहिए, बच्चों के साथ सही तरह से बात करने वाले एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए।
-एक कविता में लिखा है कि, “कुछ खिलौनों के टूटने से बचपन नहीं मरा करता है।'' इसमें सबके लिए बहुत बड़ा संदेश छुपा है ।