Edited By Sonia Goswami,Updated: 12 Sep, 2018 10:44 AM
स्कूली पाठ्यक्रम को छोटा करने की योजना पर एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने काम शुरू कर दिया है। हालांकि उसने पाठ्यक्रम को आधा करने के सुझावों को खारिज कर दिया है।
नई दिल्ली : स्कूली पाठ्यक्रम को छोटा करने की योजना पर एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने काम शुरू कर दिया है। हालांकि उसने पाठ्यक्रम को आधा करने के सुझावों को खारिज कर दिया है। साथ ही उम्मीद जताई है कि यह अधिकतम 20 फीसदी तक ही कम हो सकता है। शुरुआत 9वीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम की समीक्षा से होगी, जिसे दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें गणित, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र,जीव विज्ञान जैसे विषयों को प्रमुखता से शामिल किया गया है।
एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम को छोटा और सरल करने की दिशा में यह काम मानव संसाधन विकास मंत्रलय की ओर से इस संबंध में मांगे गए सुझावों के बाद शुरू किया है। इसमें एक लाख से ज्यादा सुझाव आए हैं। मंत्रलय ने भी स्कूली पाठ्यक्रम को आधा करने का सुझाव एनसीईआरटी को दिया है, लेकिन विशेषज्ञों ने इससे असहमति जताते हुए सुझाव को खारिज कर दिया है। सूत्रों की मानें तो विशेषज्ञों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर बदलाव ठीक नहीं है।
हालांकि इस सब के बावजूद एनसीईआरटी अगले शैक्षणिक सत्र से कुछ अहम विषयों के पाठ्यक्रम को छोटा करने की तैयारियों में जुटा है। यह तैयारियां इसलिए भी शुरू कर दी गई हैं क्योंकि एनसीईआरटी की नई किताबों के प्रकाशन का काम दिसंबर के अंत तक शुरू हो जाता है। ऐसे में यदि समय पर पाठ्यक्रम में बदलाव की प्रक्रिया को अंतिम रूप नहीं दिया गया तो समय पर किताबें उपलब्ध नहीं हो पाएंगी। जिसके चलते एक नई समस्या खड़ी हो सकती है।
एनसीईआरटी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, पाठ्यक्रम में बदलाव की यह प्रक्रिया दो से तीन साल तक चलेगी। ऐसे में पहले चरण के बदलावों की शुरुआत स्कूलों की बड़ी कक्षाओं से होगी, जहां से छात्र स्कूल की पढ़ाई से बाहर हो जाएंगे। ऐसे में पाठ्यक्रम में होने वाले बदलावों से यह तुरंत लाभान्वित होंगे। समय की जरूरत के मुताबिक उन्हें कुछ और भी पढ़ने को मिल सकता है।
सीबीएसई 2500 स्कूलों पर जुर्माना लगाने की तैयारी में
सीबीएसई दिल्ली समेत देशभर के तकरीबन 2500 स्कूलों पर जुर्माना लगाने की तैयारी कर रहा है। स्कूलों पर यह जुर्माना समय पर शैक्षणिक व आधारभूत ढांचे से जुड़ी सूचना साझा न करने पर लगाया जा सकता है। इसके तहत स्कूलों को 20 हजार प्रतिमाह के हिसाब से जुर्माना चुकाना होगा। सीबीएसई ने देशभर में संबद्ध स्कूलों को निर्देश जारी कर शैक्षणिक व आधारभूत ढांचे से जुड़ी जानकारी ऑनलाइन एफिलिएटेड स्कूल इंफॉर्मेशन सिस्टम में अपलोड करने को कहा था, स्कूलों को 30 अगस्त तक का समय दिया गया था।