Edited By Riya bawa,Updated: 19 Jun, 2019 02:43 PM
नीट परीक्षा में सफल होने के लिए...
नई दिल्ली: नीट परीक्षा में सफल होने के लिए सामान्य कैटेगरी के लिए 50 फीसद मार्क्स जरूरी होते हैं। इसके अलावा अन्य कैटेगरी में यह पासिंग प्रतिशत 40 प्रतिशत तक जाता है। लेकिन 2018 में तकरीबन 50 छात्र ऐसे थे जिन्होंने 180-180 अंक के पेपर में फिजिक्स और केमिस्ट्री में दहाई का भी आंकड़ा पार नहीं किया। लेकिन उन्हें पंजाब के एक मेडिकल कॉलेज में दाखिला दे दिया गया। इन 50 में से 7 छात्रों के तो 0 अंक आए, 10 छात्रों ने निगेटिव मार्क्स तक हासिल किए थे।
ये बड़ा सवाल है कि कोई कैसे प्रवेश परीक्षा में जीरो और माइनस अंक लाने के बावजूद एमबीबीएस में दाखिले का पात्र हो जाता है? इतना ही नहीं 2018 में 85 फीसद ऐसे छात्र जिन्होंने दहाई से नीचे अंक हासिल किए थे किसी न किसी निजी कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला पाने में वो सफल रहे। पंजाब में साल 2018 में एक मेडिकल कॉलेज ने ऐसे छात्रों से पूरे एमबीबीएस कोर्स के लिए तो 68 लाख रुपए तक वसूले थे। देश के कई अन्य राज्यों में तो आंकड़े इससे भी गए गुजरे हैं। नीट की कटऑफ और स्कोर एनटीए तैयार करता है। लेकिन प्रत्येक वर्ष सार्वजनिक रूप से ये सुनिश्चित करने का दावा किया जाता है कि मेडिकल के सभी प्रवेश नीट की मेरिट के आधार पर लिए गए हैं। इस साल ही 7 लाख 97 हजार छात्र तकरीबन 97 हजार सीटों के लिए क्वालीफाई हुए हैं।
फिजिक्स-केमिस्ट्री में 10 अंक लाना नहीं है मुश्किल
किसी छात्र को जीरो मार्क्स मिल भी कैसे सकता है इसकी प्रक्रिया को समझें तो प्रत्येक छात्र को फिजिक्स में 45, केमिस्ट्री में 45 और 90 बॉयोलॉजी में वैकल्पिक सवालों का जवाब देना होता है। जिसमें एक सही सवाल पर 4 अंक और एक गलत जवाब पर 1 निगेटिव माक्र्स मिलता है। अगर किसी के चौथाई सवाल सही हों और तिहाई सवाल गलत हों तो भी वह 10 अंक 180 में हासिल कर लेगा। क्योंकि उसके 11 सही उत्तर 44 अंक दिलाएंगे और 34 गलत उत्तर 34 अंक माइनस करते हैं तो भी 10 अंक छात्र को मिल जाते हैं। ज्यादातर स्कूल पीसीबी में आए कुल एग्रीगेट मार्क्स पर दाखिला देते हैं।
सालों से हो रहे ऐसे दाखिले
दिल्ली के एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान में पढ़ा रहे सिकंदर रहमानी ने कहा कि सालों से इस तरह के दाखिले प्राइवेट कॉलेज ले रहे हैं। अगर वह ऐसे दाखिले नहीं लेेंगे तो उनकी सीटें नहीं भरेंगे। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि छात्र जब प्रवेश परीक्षा में न्यूनतम अंक भी नहीं ला पाया तो एमबीबीएस में कैसा स्कोर करेगा।